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त्रिपुरारी अपहरण कांड और मारकन गोलीकांड पर से उठेगा पर्दा

मुजफ्फरपुर प्रमुख संवाददाता। नेपाल के लुम्बिनी जोन स्थित तानसेन पाल्पा जेल से रिहा कुख्यात पप्पू देव का भारत में प्रत्यर्पण होने पर मुजफ्फरपुर के त्रिपुरारी सिंह अपहरणकांड और मारकन के गोलीकांड...

त्रिपुरारी अपहरण कांड और मारकन गोलीकांड पर से उठेगा पर्दा
लाइव हिन्दुस्तान टीमWed, 08 Jan 2014 01:00 AM
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मुजफ्फरपुर प्रमुख संवाददाता। नेपाल के लुम्बिनी जोन स्थित तानसेन पाल्पा जेल से रिहा कुख्यात पप्पू देव का भारत में प्रत्यर्पण होने पर मुजफ्फरपुर के त्रिपुरारी सिंह अपहरणकांड और मारकन के गोलीकांड सहित कई चर्चित आपराधिक वारदातों के षड्यंत्र पर से पर्दा उठने की उम्मीद जगी है।

इन वारदातों के ब्लू प्रिंट मुजफ्फरपुर के भड़बाड़ी में तैयार होते थे। इससे शहर के बालूघाट के अरविंद सिंह के परिजनों को भी न्याय की उम्मीद जगी है। 13 मई 2000 को बोचहां थाना क्षेत्र में ईंट व्यवसायी त्रिपुरारी सिंह के साथ अपहृत उनके मित्र अरविंद सिंह की लाश आज तक नहीं मिली है। राज्य ट्रांसपोर्ट निगम के कर्मचारी अरविंद सहि के बेटे नीरज ने बताया कि अपहरण व हत्या की पुलिस जांच के दौरान पप्पू देव व शंभु-मंटू के नाम आए थे।

अरविंद सिंह की विधवा मालती देवी ने त्रिपुरारी सिंह के खिलाफ केस किया था, जिसकी सुनवाई बीती तीन जनवरी को भी कोर्ट में हुई है। अपहरण के 21 दिन बाद जब त्रिपुरारी सिंह की रहस्यमय वापसी हुई, तो बड़ी फिरौती की चर्चा सुर्खियों में रही।

न्याय के लिए संघर्ष करते-करते बीमार मालती देवी का पिछले वर्ष 11 मई को निधन हो गया। केस की जांच लंबित रहने और पुलिस द्वारा अरविंद सिंह को मृत घोषित नहीं करने की वजह से परिजनों को राज्य ट्रांसपोर्ट निगम से भी अनुकंपा या कोई अन्य अनुग्रह अनुदान नहीं मिला।

कोर्ट ने 12 साल बाद उन्हें मृत घोषित किया, पर परिजनों को अभी तक कोई लाभ नहीं मिल सका है। भड़बाड़ी में ही मारकन गोलीकांड का ब्लू प्रिंट तैयार हुआ था। शराब की दुकान में टेंडर के विवाद में 16 मई 2001 को अनिल कुमार को गोली मारी गई थी।

पप्पू देव की धमकी को नजरअंदाज करते हुए अनिल के भाई ने शराब की दुकान का टेंडर डाला था। इस मामले में भड़बाड़ी के रत्नेश सिंह एवं उनके भाई व द्रोणपुर के मनोज ठाकुर के खिलाफ केस किया गया था।

आरंभिक जांच में बेगूसराय के कुख्यात ‘कर्नल’ का नाम भी सुर्खियों में था। पुलिस अनुसंधान में रत्नेश सिंह का नाम केस से कटा, जबकि मनोज ठाकुर अब तक फरार है। बाद में ‘कर्नल’ मारा गया और रत्नेश सिंह के भाई की भी मौत हो गई।

मुजफ्फरपुर के रजिस्टार सूर्य नारायण सिंह का अपहरण भले ही वैशाली के भगवानपुर थाना क्षेत्र में हुआ था, षड्यंत्र का ब्लू प्रिंट मुजफ्फरपुर में ही तैयार हुआ था। आरंभिक अनुसंधान में पप्पू देव व विक्कू शुक्ला के साथ धनौर के शंभु का नाम आया था, परन्तु केस अब तक लंबित है।

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