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यूपी पुलिस ने माना,भड़काने की थी साजिश

 लखनऊ विशेष संवाददाता यूपी पुलिस ने दावा किया है कि लश्कर आतंकियों ने मुजफ्फरनगर के रहने वाले दो युवकों को जेहाद में झोंकने के लिए मदद मांगी थी। उन्हें उकसाया गया था कि वे लश्कर का साथ दें...

यूपी पुलिस ने माना,भड़काने की थी साजिश
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 07 Jan 2014 11:39 PM
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 लखनऊ विशेष संवाददाता

यूपी पुलिस ने दावा किया है कि लश्कर आतंकियों ने मुजफ्फरनगर के रहने वाले दो युवकों को जेहाद में झोंकने के लिए मदद मांगी थी। उन्हें उकसाया गया था कि वे लश्कर का साथ दें लेकिन युवकों ने साफ इनकार कर दिया था। यह दावा आईजी कानून-व्यवस्था अमरेंद्र कुमार सेंगर ने दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल के खुलासे के बाद यहां लखनऊ में मंगलवार को किया।

हालांकि उन्होंने इससे इनकार किया कि ये युवक दंगा राहत शिविरों में रहने वालों में शामिल थे। इधर यूपी एटीएस की टीम को पूरे मामले की तस्दीक के लिए दिल्ली भेजा गया है। दिल्ली पुलिस द्वारा मुजफ्फरनगर के युवकों के लश्कर से संपर्क में होने के खुलासे के बाद यूपी की खुफिया एजेंसियां भी सक्रिय हुई हैं। श्री सेंगर ने सिरे से इनकार कर दिया कि जमीलुर्रहमान अथवा लिकायत के किसी आतंकी संगठन से रशि्ते हैं। उन्होंने कहा कि हरियाणा के मेवात से पकड़े गए संदिग्ध आतंकियों ने लियाकत और जमीलुर्रइस्लाम से मदद जरूर मांगी थी लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया था।

उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस ने मुजफ्फरनगर पुलिस को लियाकत और जमीलुर्रइस्माल के बारे में कोई जानकारी नहीं दी थी। उन्होंने इनकार किया कि लश्कर से रशि्तों में गिरफ्तार किए गए हाफिज और शाहिद ने मुजफ्फरनगर दंगा शिविरों का दौरा किया था। उन्होंने कहा कि इस बारे में यूपी पुलिस के पास कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने यह भी दावा किया कि इस संबंध में केंद्रीय खुफिया एजेंसियों ने यूपी पुलिस को कोई अलर्ट भी नहीं जारी किया था। दूसरी ओर उन्होने बताया कि इस सिलसिले में यूपी एटीएस की एक टीम को दिल्ली भेजा गया है।

उन्होंने कहा कि एटीएस की टीम दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार लश्कर के संदिग्ध सदस्यों हाफिज और शाहिद से पूछताछ करेगी। साथ ही जमीलुर्रइस्माल और लियाकत से भी जानकारी करेगी। श्री सेंगर ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने लियाकत और जमीलुर्रइस्लाम के अदालत में कलमबंद बयान दर्ज करवाए हैं। दोनों का किसी भी आतंकी गतविधिि से ताल्लुक नहीं है। न ही वे दंगा पीड़ित हैं। उन्हें बयान दर्ज करवाने के बाद परिवार वालों के सुपुर्द कर दिया गया है।

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