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नौजवान प्रवक्ता

बड़ी सियासी पार्टियों के युवा प्रवक्ताओं के फोन आते रहते हैं। टेलीविजन की बहस में कैसे भाग लेना चाहिए? क्या सुधार करना चाहिए? इन सबकी चिंता यह है कि कैसे वे अरुण जेटली या शशि थरूर टाइप के प्रवक्ताओं...

नौजवान प्रवक्ता
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 06 Jan 2014 10:25 PM
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बड़ी सियासी पार्टियों के युवा प्रवक्ताओं के फोन आते रहते हैं। टेलीविजन की बहस में कैसे भाग लेना चाहिए? क्या सुधार करना चाहिए? इन सबकी चिंता यह है कि कैसे वे अरुण जेटली या शशि थरूर टाइप के प्रवक्ताओं से बेहतर कर सकें। सियासी पार्टियों के ये प्रवक्ता पहनावे से लेकर शैली तक की बात करते हैं। अपनी पार्टी के अंतर्विरोधों का कैसे सामना करें, इसे लेकर भी काफी परेशान रहते हैं। कई बार जब कोई सियासी पार्टी किसी मुद्दे को लेकर फंस जाती है, तो युवा प्रवक्ताओं को भेज दिया जाता है। उनकी अक्सर यही प्रतिक्रिया होती है, ‘गलत तो हुआ है, पर हमें कुछ न कुछ तो डिफेंड करना था, इसीलिए आज मैं चुप ही रहा।’बी एस येदियुरप्पा दुरागमन या लालू प्रसाद से गठबंधन ऐसे ही मुश्किल मुद्दे हैं, जो युवा प्रवक्ताओं को डराते हैं। अच्छा है कि वे सीखना चाहते हैं। फीडबैक मांगते हैं।

युवा प्रवक्ता तैयारी भी करते हैं। अक्सर इनके हाथों में प्रिंट आउट होते हैं। ब्रेक के दौरान सैमसंग और आईफोन में गूगल करते हैं। इस बात को लेकर भी चिंतित रहते हैं कि अगला इतना नौटंकी करता है, तो क्या उन्हें भी करनी चाहिए? मगर अब इनमें भी वही घाघपन आ गया है, जो इनके बड़े नेताओं में होता है। जाहिर है, कोई एकांत में नहीं पनपता। हर पौधे में खाद-पानी की जरूरत होती है। हमारे में भी किसी न किसी ने डाला ही था।
कस्बा में रवीश

 

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