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स्वदेशी इंजन को मिली पहली कामयाबी

पिछले साल मंगलयान के सफल प्रक्षेपण के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने इस साल की शुरुआत एक और सफलता के साथ की। इसरो ने रविवार शाम 4 बजकर 18 मिनट पर जीएसएलवी डी5 को लांच किया। इसमें...

स्वदेशी इंजन को मिली पहली कामयाबी
एजेंसीMon, 06 Jan 2014 12:35 PM
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पिछले साल मंगलयान के सफल प्रक्षेपण के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने इस साल की शुरुआत एक और सफलता के साथ की। इसरो ने रविवार शाम 4 बजकर 18 मिनट पर जीएसएलवी डी5 को लांच किया। इसमें स्वेदशी क्रायोजेनिक इंजन का उपयोग किया गया है। इस सफल प्रक्षेपण के बाद भारत दुनिया के उन छह देशों में शामिल हो गया है, जिन्होंने क्रायोजेनिक इंजन का सफल लांच किया है। इस अभियान पर 356 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं।

बड़ी थी चुनौती
जीएसएलवी को स्वदेश में बने क्रायोजेनिक इंजन के साथ लांच करना इसरो के लिए वर्ष 2001 से एक बड़ी चुनौती बनी हुई थी। इससे पहले हुए सात प्रयासों में से सिर्फ चार ही सफल रहे थे। पिछले साल 19 अगस्त को लांच किया जाना था, लेकिन ईंधन रिसाव के चलते टाल दिया गया था।

क्रायोजेनिक अप्पर स्टेज का परीक्षण
यह जीएसएलवी की आठवीं उड़ान थी। इसके अलावा इस उड़ान में भारत में विकसित क्रायोजेनिक अप्पर स्टेज (सीयूएस) का दूसरी बार परीक्षण किया गया। 

चंद्रयान-2 की राह होगी आसान
इस सफल लांच के बाद इसरो के विज्ञानियों का मनोबल बहुत बढ़ गया है। वह भारी उपग्रह ले जाने वाले जीएसएलवी तृतीय यान को विकसित करना शुरू कर चुके हैं। इसका इस्तेमाल चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण में किया जाएगा। इसरो ने वर्ष 2016 में चंद्रयान-2 को प्रक्षेपित करने की योजना बनाई है।

जीसैट-14 
यह भारत का कुल 23वां संचार और पांचवां जीसैट-14 उपग्रह है। इसका वजन 1,982 किलोग्राम है। इससे पहले जीएसएलवी ने ही जीसैट-14 उपग्रह को 2001, 2002, 2004 और 2007 में लांच किया गया था। यह उपग्रह कक्षा में जाकर पहले से मौजूद नौ अन्य उपग्रह के साथ काम करेगा। इससे सी और क्यू बैंड की क्षमता का विस्तार होगा।

लांच 
जीएसएलवी डी5 को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लांच किया गया। लांच के 17 मिनट बाद जीसैट-14 उपग्रह को कक्षा में स्थापित कर दिया गया। इसके लिए उल्टी गिनती शनिवार सुबह 11:18 बजे शुरू की गई थी।

सफल लांच करने वाले देश
अमेरिका, रूस, जापान, चीन और फ्रांस और अब भारत

रुपये की बचत
इस सफलता के बाद इसरो संचार उपग्रहों को लांच करने के लिए अन्य देशों को किए जाने वाले भुगतान की बचत कर सकेगा। इसरो चेयरमैन के मुताबिक भारत को 3.5 टन के संचार उपग्रह को प्रक्षेपित करने के लिए करीब 500 करोड़ रुपये अदा करने पड़ते हैं जबकि जीएसएलवी से उपग्रह लांच की लागत करीब 220 करोड़ रुपये आएगी।

मैं बहुत खुश हूं और मुझे इस बात गर्व भी है कि इस काम को इसरो की टीम ने अंजाम दिया है। भारतीय क्रायोजेनिक इंजन ने अनुमान के मुताबिक सही काम किया और जीसैट-14 उपग्रह को सही तरह से कक्षा में स्थापित किया।
के. राधाकृष्णन, चेयरमैन, इसरो

अंसारी और मनमोहन ने दी बधाई
उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने जीएसएलवी डी5 के सफल प्रक्षेपण पर इसरो के विज्ञानियों को बधाई दी है। दोनों ने इसे विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम करार दिया। अंसारी ने कहा कि स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन के साथ इस प्रक्षेपण के बाद भारत चुनिंदा देशों के समूह में आ गया है।

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