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सर्दी का सितम, नींद में जिम्मेदार

लखीमपुर-खीरी। शहर शीतलहरी में डूबा हुआ है और जिम्मेदार नींद में हैं। पारा गिरकर सात डिग्री पर आ गया है। पहाड़ी इलाकों पर बर्फबारी और एक दिन पहले हुई बारिश से गलन लगातार बढ़ रही है। रात में चलने...

सर्दी का सितम, नींद में जिम्मेदार
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 03 Jan 2014 11:32 PM
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लखीमपुर-खीरी। शहर शीतलहरी में डूबा हुआ है और जिम्मेदार नींद में हैं। पारा गिरकर सात डिग्री पर आ गया है। पहाड़ी इलाकों पर बर्फबारी और एक दिन पहले हुई बारिश से गलन लगातार बढ़ रही है। रात में चलने वाली सर्द हवाओं से जनजीवन प्रभावित हो गया है। जरूरी काम से निकले लोगों को सर्दी से बचाव के लिए अब तक कहीं अलाव नहीं लगाए गए हैं।

खास बात तो यह है कि रोडवेज और तहसील में दो जगहों पर रैन बसेरा बनाए गए हैं। जिससे सर्द रात मुसाफिर यहां बिता सकें। लेकिन यह दोनों रेन बसेरा सरकारी तंत्र की उदासीनता बयां कर रहे हैं। एक तहसील के अन्दर बना है जिसकी जानकारी ही लोगों को नहीं है दूसरे सिर्फ टेंट का पर्दा तानकर बना दिया गया है। जिसमें लोगों के बैठने तक की कोई व्यवस्था नहीं है। इतना ही नहीं सरकारी तंत्र को लोग उस समय ज्यादा कोसते हैं जब शहर में कहीं पर भी अलाव जलते नहीं दिखता है।

गुरुवार की रात ‘हिन्दुस्तान’ ने रैन बसेरा और शहर में जल रहे अलावों की स्थिति देखी। पेश है आंखों देखी रिपोर्ट-

सीन: 01रोडवेज बसअड्डा के रैन बसेरा में ओढ़ने की व्यवस्था नहींफोटो::10::रेन बसेरा में सोना है तो साथ लाओ रजाई =रात 11:30 बजे। शहर का रोडवेज बस अड्डा। यहां बस अड्डा के अन्दर टेंट का एक पर्दा लगा दिखा। अन्दर झांककर देखने पर पता चला कि तीन-चार लोग यहां लेटे हैं। यात्रियो ंने बताया कि यह रेन बसेरा बनाया गया है।

यहां फर्श पर सिर्फ एक मैट बिछा दी गई है। इसके अलावा आने वाले यात्रियों के ओढ़ने की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। नीचे पुआल आदि न पड़ा होने के कारण लोगों को सर्दी सताती रहती है।

सीन::02:: शहर का हीरालाल धर्मशाला चौराहाफोटो:: 11:: हीरालाल चौराहा पर भी नहीं जला अला्रव रात 11:45 बजे। शहर का हीरालाल धर्मशाला चौराहा। रेलवे स्टेशन से कुछ यात्री आते दिखे। सर्द हवाओं के बीच इन यात्रियों के हाथ कॉप रहे थे। रेलवे स्टेशन से लेकर धर्मशाला चौराहा तक कहीं भी अलाव जलते नहीं मिला।

जबकि यहां चौराहे पर हर साल अलाव की व्यवस्था की जाती थी। कुछ दिन पहले ही यहां एडीएम ने रात में निरीक्षण अलाव जलाने को कहा था, बावजूद इसके अलाव नहीं जला।

सीन: 03:: सदर चौराहा पर भी नहीं जला अलाव

सदर चौराहा जहां रात में नहीं जला अलाव रात 11:55 बजे। शहर का सदर चौराहा। दुकानें बन्द कर व्यापारी घरों को जा चुके थे। इक्का दुक्का लोग ही निकलते दिखे। यहां गश्त के लिए खड़े होने वाले पुलिस कर्मी भी नजर नहीं आए।

हर साल यहां अलाव जलवाया जाता था जहां बाजार के चौकीदार और पुलिस वाले हाथ सेंकते नजर आते थे, लेकिन इस बार शायद अफसरों को अभी सर्दी का अहसास नहीं हुआ है। जिससे यहां अलाव जलवाने की व्यवस्था नहीं की गई है। सर्दी से ठिठुर रहे लोग अलाव की तलाश में रात में भटकते रहते हैं।

सीन::04:: मेला मैदान चौराहे पर भी नहीं जला अलावफोटो::13:: मेला मैदान चौराहे पर भी दिखा पूरी तरह सन्नाटा =रात 12:05 बजे। शहर का मेला मैदान चौराहा।

इस चौराहे पर भी रात में कहीं अलाव जलते नहीं दिखा। सर्दी से कांप रहे कुछ लोग यहां सड़क किनारे कूड़ा, पॉलीथीन आदि जलाकर सर्दी से निजात पाते दिखे। इन लोगों ने बताया कि पता नहीं नगर पालिका ने इस बार अब तक अलाव क्यों नहीं जलवाया है। जबकि हर साल यहां पर अलाव जलता था और रात में निकलने वाले लोग सर्दी से बचाव के लिए तापते थे। इस बार यहां कोई व्यवस्था अब तक नहीं हुई है।

सीन:05:: सेठ घाट चौराहे पर भी नहीं हुई व्यवस्थाफोटो::14::सेठ घाट चौराहा =रात 12:15 बजे हिन्दुस्तान टीम सेठघाट चौराहा पहुंची।

यहां भी चारों तरफ नजर दौड़ाई गई लेकिन हाथ सेकने के लिए कहीं पर भी अलाव जलते नहीं दिखा। यहां मिले अर्जुनपुरवा मोहल्ले के रामकुमार ने बताया कि पता नहीं क्यों अलाव नहीं जलवाया गया है। हर साल अलाव जल जाता था तो वह एक-आध घंटे ताप लेते थे जिससे रात में सर्दी नहीं लगती थी। इस बार अलाव न जलने से दिक्कत हो रही है। घर में भी तापने की कोई व्यवस्था नहीं है। रोज इस उम्मीद के साथ रात में खाना खाने के बाद इधर आते हैं कि शायद अलाव जल गया हो।

सीन:: 06:: तहसील के रैन बसेरा तक कैसे पहुंचे लोगफोटो:: 15:: तहसील में बने रैन बसेरा में नहीं पहुंचा कोई मुसाफिर =जिला प्रशासन ने तहसील प्रांगण के एक कमरे में रैन बसेरा बनाया है। रात 12:30 बजे यहां जब ‘हिन्दुस्तान’ टीम पहुंची तो रेन बसेरा का दरवाजा खुला मिला। अन्दर पुआ भी पड़ा दिखा और कम्बल भी बिछे थे। लेकिन यहां कोई मुसाफिर नहीं दिखा। कारण है कि तहसील के अन्दर होने के कारण लोगों को पता ही नहीं है कि यहां रेन बसेरा खोला गया है।

इस रैन बसेरा तक पहुंचने के लिए न तो बस अड्डा से कोई सीधा रास्ता है और न ही रेलवे स्टेशन से। जिससे यह रैन बसेरा लोगों के काम नहीं आ रहा है। सिर्फ खाना पूर्ति के लिए खोल दिया गया है।

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