किसान-मजदूरों में एकता की जरूरत
राज्य सरकार के कृषि रोड मैप को खारिा करते हुए भाकपा माले के राष्ट्रीय महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि कृषि की उपेक्षा और किसानों का अपमान ही सरकार की नीति है। पटना से दिल्ली तक कहीं भी कृषि...
राज्य सरकार के कृषि रोड मैप को खारिा करते हुए भाकपा माले के राष्ट्रीय महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि कृषि की उपेक्षा और किसानों का अपमान ही सरकार की नीति है। पटना से दिल्ली तक कहीं भी कृषि विकास पर कोई विचार नहीं हो रहा है। यह शासक पार्टियों के एजेन्डे में ही नहीं है। वहां चर्चा सिर्फ अनुपस्थित जमींदारों की होती है। इसलिए देश के असली किसानों को इसे अपने संघर्ष का एजेन्डा बनाना होगा। इसके लिए जरूरत है छोटे किसानों और मजदूरों में एकता की। मध्य बिहार के लोग समझ गये हैं। वहां अब माले को किसान-मजदूरों में झगड़ा लगाने वाली पार्टी बताने वालों की दाल नहीं गलने वाली।ड्ढr ड्ढr वे सोमवार को किसान सभा द्वारा आयोजित किसान पंचायत का उद्घाटन करने के बाद किसानों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कृषि का विकास तभी संभव है जब अनुपस्थित जमींदारों के हाथ से भूमि उनके कब्जे में जायेगी जिनके पास आमदनी को कोई अन्य स्रेत नहीं है। लेकिन भूमि सुधार पर विचार न तो गरीबों के लिए बड़ी-बड़ी बातें करने वाले लालू प्रसाद ने और न नीतीश कुमार करने वाले हैं। राज्य में इसके लिए आयोग बनते ही हंगामा शुरू हो गया और मुख्यमंत्री ने घुटने टेक दिये। कृषि विकास के रोड मैप का भी वहीं हाल होगा जो राज्य की सड़कों का है। सरकार कृषि और किसानों का विकास चाहती है तो उसे बटाईदारों को पंजीकृत कर उनकी सूची बनानी होगी। उन्हें परिचय पत्र देना होगा और फिर फसल क्षति के मुआवजे पर उनका भी अधिकार होगा। इसके पूर्व किसान सभा के प्रदेश अध्यक्ष राजाराम सिंह ने किसानों के समक्ष बहस के लिए समानांतर कृषि रोड मैप प्रस्तुत किया। बहस में खेमस के राष्ट्रीय महासचिव व पूर्व सांसद रामेश्वर प्रसाद और माले के राज्य सचिव नंद किशोर प्रसाद आदि नेताओं ने भाग लिया।