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परमाणु ऊर्जा कम करेगी पेट्रो सब्सिडी

परमाणु ऊर्जा समझौते को लेक र भले ही वामदलों ने यूपीए सरकार से किनारा कर लिया हो लेकिन पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय इसे भविष्य में सब्सिडी बोझ हल्का करने का सुनहरा रास्ता मानता है। पेट्रोलियम...

 परमाणु ऊर्जा कम करेगी पेट्रो सब्सिडी
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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परमाणु ऊर्जा समझौते को लेक र भले ही वामदलों ने यूपीए सरकार से किनारा कर लिया हो लेकिन पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय इसे भविष्य में सब्सिडी बोझ हल्का करने का सुनहरा रास्ता मानता है। पेट्रोलियम मंत्री मुरली देवड़ा कहते हैं कि परमाणु ऊर्जा के अधिक इस्तेमाल से पेट्रो उत्पादों का उपभोग कम करने में मदद मिलेगी और नतीजतन पेट्रो कंपनियों का वित्तीय बोझ कम होगा। खासकर ऐसे समय में जबकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का मूल्य 40 डॉलर से बढ़कर 140 डॉलर प्रति बैरल से भी ऊपर पहुंच चुका है और भविष्य के मूल्यों को लेकर भारी चिंता व्याप्त है। देवड़ा ने यहां संवाददाताओं से बात करते हुये कहा कि भविष्य में परमाणु ऊर्जा देश की ऊर्जा जरूरत का बड़ा हिस्सा पूरा करेगी। तेल मूल्य बढ़ने से सबसे यादा दुष्प्रभाव पेट्रो कंपनियों को झेलना पड़ा है। इसका उपयोग बढ़ाने से उनके घाटे को हल्का करना संभव होगा। ध्यान रहे कि उनके घाटे को पूरा करने के लिए ही सरकार की ओर से सब्सिडी का प्रावधान है। साथ ही नये पेट्रोल पंपों के खोलने को लेकर शुरू हुये ताजा विवाद पर उन्होंने अपना पक्ष साफ करते हुये कहा कि दरअसल नये पेट्रोल पंपों को खोलने पर रोक नहीं लगाई गई है, बल्कि कंपनियों से संयम बरतने के लिए कहा गया है। मंत्रालय का साफ तौर पर मानना है कि ऐसी जगहों पर नये पेट्रोल पंप न स्थापित किये जाएं, जहां पर उनको लगाने से घाटा हो। स्थानीय जरूरत को देखते हुये ही नये पंप लगाये जाएं। ध्यान रहे कि इस आशय के समाचार प्रकाशित हुये थे कि पेट्रोलियम मंत्रालय ने कंपनियों से नये पेट्रोल पंपों को खोलने का काम दो साल तक स्थगित रखने की सलाह दी है। यूपीए सरकार की नई सहयोगी सपा और इससे पहले माकपा की ओर से विंडफाल टैक्स को लेकर शुरू किये गये विवाद पर उन्होंने अपनी पुरानी बात दोहराते हुये कहा कि यह दायरा उनका नहीं है। सरकार भी फिलहाल इस पर विचार नहीं कर रही। दरअसल पेट्रो कंपनियों के घाटे यानी अंडर-रिकवरी को लेकर सरकार बी.के.चतुव्रेदी समिति गठित कर चुकी है। यह समिति ही उपभोक्ता, कंपनियों और सरकार के बीच इस घाटे की भरपाई के लिए हिस्सेदारी फामरूले पर अपनी रिपोर्ट पेश करेगी।

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