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यूएस महिला सैनिकों को अपने ही करते हैं बेआबरू

इराक और अफगानिस्तान में तैनात अमेरिकी महिला सैनिकों को सड़क किनारे रखे गए बमों या घात लगा कर किए गए हमलों से उतना खतरा नहीं है, जितना उनके साथी सैनिकों या अफसरों के हाथों बलात्कार और यौन उतपीड़न का...

 यूएस महिला सैनिकों को अपने ही करते हैं बेआबरू
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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इराक और अफगानिस्तान में तैनात अमेरिकी महिला सैनिकों को सड़क किनारे रखे गए बमों या घात लगा कर किए गए हमलों से उतना खतरा नहीं है, जितना उनके साथी सैनिकों या अफसरों के हाथों बलात्कार और यौन उतपीड़न का है। इराक में तैनात महिला सैनिकों के करीब 40 विस्तृत इंटरव्यू और कई पूर्व महिला सैन्य अधिकारियों से बातचीत पर आधारित एक पुस्तक ‘दि लोनली सोल्जर’ दि प्राइवेट वार आफ वीमेन सर्विंग इन इराक में युद्ध क्षेत्र में पुरुष सहकर्मियों द्वारा बलात्कार, यौन उत्पीड़न और छेड़छाड़ की घटनाओं का वर्णन किया गया है। कुछ महिला सैनिकों को तो अधिकारियों द्वारा खुद से शौचालय नहीं जाने का आदेश था। एक महिला तो उसकी आबरू पर हमले की आशंका से अपने पास एक चाकू गुप्त रूप से रखने लगी थी। पुस्तक की लेखिका हेलेन बेनेडिक्ट न्यूयार्क के कोलंबिया विश्वविद्यालय में पत्रकारिता की प्रोफेसर हैं तथा पुस्तक का विमोचन बुधवार को किया गया। बेनेडिक्ट ने बताया कि सबसे भयावह बात यह है कि उनके अपने पक्ष के लोग उनके साथ ऐसा व्यवहार कर रहे हैं। इराक और अफगानिस्तान में तैनात अमेरिकी सैनिकों में दस में से एक महिला सैनिक है। अमेरिकी रक्षा विभाग के आंकड़ों के अनुसार इराक युद्ध में द्वितीय विश्व युद्ध की तुलना में अधिक महिलाआें की मौत हो चुकी हैं। बेनेडिक्ट कहती हैं कि पुस्तक का शीर्षक महिला सैनिकों के उस अकेलेपन की मानसिक पीड़ा को दर्शाता है, जो युद्ध की डय़ूटी के बीच साथी सैनिकों द्वारा यौन उत्पीड़न से उपजी हैं। उन्होंने कहा कि महिला सैनिक अब इतने अधिक खतरे में हैं, जितना युद्ध में नहीं होती। यह बड़ी विडंबना है, क्योंकि सभी सैनिकों को एक दूसरे के साथ मिलकर रहने और रक्षा करने की उम्मीद की जाती है। उन्होंने कहा कि और तब आप क्या महसूस करेंगी जब आपके साथी सैनिक ही दिनभर आपको उत्पीड़न करेंगे या बलात्कार की कोशिश करते रहेंगे या फिर शायद आपको अपनी हवस का शिकार बना ही डालें। एक ऐसी ही दास्तान एक सैनिक मार्टी रिबीरो की है जो अमेरिकी वायुसेना में सार्जेण्ट है और वह 2006 में अफगानिस्तान में युद्ध संवाददाता के रूप में सेना की 10वीं मांउटेन डिवीजन के साथ तैनात थी, जिसमें सभी पुरुष सैनिक थे। एक दिन एक जांच चौकी पर तैनात एक अमेरिकी सैनिक ने वर्दी में ही उसके साथ बलात्कार किया। और जब उसने शिफ्ट खत्म होने के बाद अधिकारियों को शिकायत की तो उससे कहा गया कि यदि उसने औपचारिक शिकायत दर्ज कराई तो खुद उस पर डय़ूटी में लापरवाही बरतने और हथियार को यू हीं छोड़ जाने का आरोप लग सकता है। फिर रिबीरो ने सेना की नौकरी ही छोड़ दी। रिबीरो इन्टरव्यू में कहती हैं कि मेरा सपना था कि एक दिन अपने दादाजी और पिता की तरह मैं भी एक ऑफिसर बनूं। दुर्भाग्य से मेरे सपने पूरे नहीं हो पाएंगे, क्योंकि मैं एक स्त्री हूं। अमेरिकी सेना में यौन हिंसा की घटनाएं वर्ष 2008 में आठ फीसदी बढ़ गई। इराक और अफगानिस्तान में महिला सैनिकों के यौन उत्पीड़न की शिकायतों में तो 25 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। अमेरिकी रक्षा मुख्यालय पेंटागन की मार्च में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार सेना में यौन हिंसा के कुल 208 मामले दर्ज किए गए, जिनमें बलात्कार, अभद्रता, मारपीट और बलात्कार के प्रयास के मामले शामिल हैं। बेनेडिक्ट ने जिन 40 महिलाआें का इंटरव्यू लिया है, उनमें से 10 का कहना है कि उनके साथ बलात्कार हुआ। पांच महिलाआें ने बताया कि उनके साथ बलात्कार का प्रयास हुआ और मारपीट की गई, जबकि 13 अन्य का कहना था कि उनके साथ यौन उत्पीड़न की घटनाएं हुई है। न्यूयार्क में बेनेडिक्ट की इस पुस्तक पर आधारित एक नाटक का भी मंचन हुआ। जिसे देखने वे महिलाएं भी पहुंची जिनकी दास्तान किताब में कलमबद्ध की गई है। इन महिलाआें को नाटक बेहद पसंद आया। अब इसे अमेरिका भर में पेश किया जाएगा।

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