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आईओए से कोई लड़ाई नहीं : गिल

होटल कैट्रिया, कमरा नम्बर 1640। बाहर जड प्लस सिक्योरिटी। यहां ठहर हैं सुपर कॉप के.पी.एस. गिल.। पांच बजे उन्हें वापस दिल्ली की फ्लाइट पकड़ने के लिए एयरपोर्ट रवाना होना है। दिल्ली से आए कुछ पत्रकार...

 आईओए से कोई लड़ाई नहीं : गिल
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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होटल कैट्रिया, कमरा नम्बर 1640। बाहर जड प्लस सिक्योरिटी। यहां ठहर हैं सुपर कॉप के.पी.एस. गिल.। पांच बजे उन्हें वापस दिल्ली की फ्लाइट पकड़ने के लिए एयरपोर्ट रवाना होना है। दिल्ली से आए कुछ पत्रकार लगभग 4 बजे उनके पास पहुंचते हैं। पूरी तलाशी के बाद हम उनके कमरे में प्रवेश करते हैं। लगभग 35-40 मिनट तक भारत में हॉकी के हालात को लेकर विस्तार से चर्चा हुई। कहते हैं, भारतीय हॉकी फेडरशन और भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के बीच किसी तरह का युद्ध नहीं चल रहा है। पता नहीं क्यों उन्होंने आईएचएफ के लोगों से बातचीत करना बंद कर दिया है। वे चाहें तो सार मसले विचार-विमर्श से भी सुलझ सकते हैं।ड्ढr ड्ढr गिल ने अपने ऊपर लगे उन आरोपों का भी खंडन किया कि वे एड-हॉक कमेटी के कामकाज में एक के बाद एक अड़ंगा लगा रहे हैं। गिल ने कहा, ‘जब से एड हॉक कमेटी बनी है तब से वे मीडिया में मेरे बारे में बेसिर-पैर की उड़ा रहे हैं। आईओए और आईएचएफ की लड़ाई में नुकसान तो हॉकी का ही हो रहा है।’ गिल यहां एशियाई हॉकी फेडरशन काउंसिल की मीटिंग में हिस्सा लेने के लिए आए थे। इस अवसर पर रिक चार्ल्सवर्थ मसले पर बात करने से भी नहीं कतराए। उन्होंने कहा कि चार्ल्सवर्थ को लेकर हमने बहुत सी योजनाएं बनाई थीं लेकिन दुर्भाग्य यह है कि भारतीय ओलंपिक संघ ने उनके बार में कोई फैसला लेने से पहले हमसे इस बार में कोई चर्चा नहीं की। उन्होंने कहा, ‘इस तरह के हर मसले को विचार-विमर्श से सुलझाया जा सकता था। जो कुछ भी हुआ या हो रहा है यह भारतीय हॉकी के लिए ठीक नहीं है।’ आईओए ने आईएचएफ को बर्खास्त कर दिया। क्या उन्हें एसा अधिकार था। आईएचएफ चेन्नई से रािस्टर्ड है जबकि आईओए दिल्ली से। बर्खास्त किए जाने का यह मतलब भी नहीं है कि आप हमसे बात करना ही छोड़ दें। बर्खास्तगी जरूरी नहीं थी। अगर कोई समस्या थी भी तो उसे आमने-सामने बैठ कर सुलझाया जा सकता था। उन्होंने कहा, ‘यह कोई वार नहीं हो रही और हम सिविलाइज्ड लोग हैं। जब सरकार आतंकवादियों से बात कर सकती है तो क्या हम लोग आपस में बात नहीं कर सकते।’ भारतीय हॉकी का रोड मैप आज भी मेर दिमाग में बिल्कुल क्लीयर है। हमने जो प्रोग्राम बनाए थे एड हॉकी कमेटी भी उन्हीं प्रोग्राम को फॉलो कर रही है। उन्होंने कहा, ‘आईएचएफ के पास भारतीय हॉकी के विकास का लम्बा प्लान था। यहां तक कि वह जूनियर टूर्नामेंट के लिए भी धीर-धीर स्पांसर लाने की कोशिश में लगा था।’ क्या भारतीय हॉकी को विदेशी कोच की वाकई जरूरत है इस सवाल पर गिल साहब बोले, ‘देखना यह चाहिए कि भारत के पास उतने काबिल लोग हैं। यदि नहीं है तो विदेशी कोच लाए जा सकते हैं। लेकिन यह भी देखना जरूरी है कि क्या वे भारतीय सिस्टम में फिट भी होंगे या नहीं।’

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