फोटो गैलरी

Hindi News तीन साल पहले पैसे दिये गये, नहीं बने प्रसव गृह

तीन साल पहले पैसे दिये गये, नहीं बने प्रसव गृह

राज्य में अस्पतालों के निर्माण की गति काफी धीमी है। अस्पतालों के निर्माण के लिए वित्तीय वर्ष 2004-05 और 2005-06 में ही पैसे दिये गये, लेकिन अभी तक इनका निर्माण शुरू नहीं हो पाया है। स्वास्थ्य मंत्री...

 तीन साल पहले पैसे दिये गये, नहीं बने प्रसव गृह
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
ऐप पर पढ़ें

राज्य में अस्पतालों के निर्माण की गति काफी धीमी है। अस्पतालों के निर्माण के लिए वित्तीय वर्ष 2004-05 और 2005-06 में ही पैसे दिये गये, लेकिन अभी तक इनका निर्माण शुरू नहीं हो पाया है। स्वास्थ्य मंत्री भानू प्रताप शाही अस्पतालों के निर्माण की धीमी प्रगति पर नाराजगी जता चुके हैं। मंत्री का मानना है कि जिलों के उपायुक्तों द्वारा दिलचस्पी नहीं लिये जाने के कारण अस्पतालों के निर्माण में देरी हो रही है।ड्ढr राज्य में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में प्रसव गृह निर्माण के लिए वित्तीय वर्ष 2004-05 में ही पैसे दिये गये। हालांकि अभी तक इसका निर्माण शुरू नहीं हो पाया है। राज्य में करीब 200 से अधिक प्रसव गृह का निर्माण कराया जाना है। इसके साथ ही राज्य में सभी जिलों में पोस्टमार्टम हाउस का निर्माण कराना है। इसके लिए भी वर्ष 2004-05 और 2005-06 में पैसे दिये गये। इसका भी निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया है।ड्ढr गढ़वा जिले के झगराखांड़, साहेबगंज, गुमला और गिरिडीह में फार्मेसी कॉलेज खोला जाना है। एमजीएम मेडिकल कॉलेज और पीएमसीएच धनबाद में छात्रावास बनाने की योजना है। राज्य के सभी 24 जिलों में एएनएम स्कूल की स्थापना की जानी है। इसके लिए छह करोड़ रुपये मिले हैं। इन सभी के निर्माण के लिए विभागीय अभियंत्रण कोषांग को शीघ्र कार्रवाई प्रारंभ करने को कहा गया है। राज्य के विभिन्न जिलों में चालक के अभाव में एंबुलेंस जीर्ण-शीर्ण अवस्था में पड़े हुए हैं। 10 जुलाई को विभागीय समीक्षा बैठक के दौरान यह बात सामने आयी। मंत्री ने सिविल सर्जनों को अनुबंध पर चालकों की नियुक्ित कर एंबुलेंस को चलाने का निर्देश दिया है।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें