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झारखंडी भाषाओं की ताकत सामूहिकता में

डॉ रामदयाल मुंडा ने कहा कि झारखंडी भाषाओं की ताकत हमारी सामूहिकता में है, इसके लिए भाषायी एकता जरूरी है। इस एकता को मजबूती देना आज की सबसे बड़ी चुनौती है। इसे झारखंडी प्रकाशक और लेखक स्वीकार कर रहे...

 झारखंडी भाषाओं की ताकत सामूहिकता में
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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डॉ रामदयाल मुंडा ने कहा कि झारखंडी भाषाओं की ताकत हमारी सामूहिकता में है, इसके लिए भाषायी एकता जरूरी है। इस एकता को मजबूती देना आज की सबसे बड़ी चुनौती है। इसे झारखंडी प्रकाशक और लेखक स्वीकार कर रहे हैं।ड्ढr वे गुरुवार को जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग में त्रमासिक सामाजिक-सांस्कृतिक पत्रिका गोतिया के लोकार्पण समारोह में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि झारखंडी भाषाओं के मानकीकरण में कई कठिनाइयां हैं। लेकिन लिखते-लिखते इसमें सुधार आ जायेगा। समारोह की अध्यक्षता करते हुए साहित्यकार बीपी केसरी ने कहा कि झारखंडी भाषा और संस्कृति तभी आगे बढ़ सकती है, जब हमारी चेतना जागृत होगी। जोहार सहिया के संपादक अश्विनी कुमार पंका ने कहा कि गोतिया का लोकार्पण राज्य के लिए अच्छा संकेत है। मौके पर गोतिया के संपादक वीरंद्र कुमार महतो, डॉ राम प्रसाद, डॉ खालिक अहमद और धनेंद्र प्रवाही ने भी विचार रखे। इससे पूर्व नागपुरी भाषा शिक्षण एवं साहित्य नामक पुस्तक का भी लोकार्पण किया गया। मुकंद नायक और क्षितिज कुमार राय ने लोक गीत प्रस्तुत किया। डॉ रोज केरकेट्टा, निर्मला पुतुल, वंदना टेटे, डॉ वृंदावन महतो, पार्षद विजय साहू, मनपूरन नायक, वासवी किड़ो, सुनील मिंज, केशव महतो कमलेश आदि उपस्थित थे। मंच संचालन डॉ गिरिधारी राम गौंझू और धन्यवाद ज्ञापन पुष्कर महतो ने किया।

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