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टल सकता है मानसून सत्र

वोट के बदले नोट कांड की जांच के लिए गठित संसदीय समिति ने अभी काम शुरु नहीं किया है लेकिन सामिति के काम के दायर को लेकर सरकार व विपक्ष में अभी से खींचतान तीखी हो गई है। लोकसभा स्पीकर सोमनाथ चटर्ाी के...

 टल सकता है मानसून सत्र
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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वोट के बदले नोट कांड की जांच के लिए गठित संसदीय समिति ने अभी काम शुरु नहीं किया है लेकिन सामिति के काम के दायर को लेकर सरकार व विपक्ष में अभी से खींचतान तीखी हो गई है। लोकसभा स्पीकर सोमनाथ चटर्ाी के निर्देशानुसार समिति ने 11 अगस्त तक जांच रिपोर्ट सदन में पेश करने को कहा है। लेकिन मानसून सत्र क्या तय समय पर होगा इस पर सवाल खड़े हो गए हैं।सोमवार को विदेश मंत्री प्रणब मुखर्जी की अध्यक्षता में संसदीय मामलों की केबिनेट की उप समिति ने अभी इस बाबत मौन साध रखा है। इससे इन अटकलों को हवा मिल रही है कि सरकार राजनीतिक उथल-पुथल की नजाकत देखते हुए मानसून सत्र को अनिश्चितकाल तक के लिए टाल सकती है। सरकार संसद में विश्वासमत के दौरान खरीद फरोख्त के आरोपों से विचलित है। अगर जांच रिपोर्ट सरकार के अनुकूल नहींम आई तो सरकार के लिए किसी भी सत्र का सामना करना मुश्किल हो जाएगा। सूत्रों के मुताबिक संवैधानिक मुश्किल यह है कि लोकसभा में वोट के बदले नोटकांड की शिकायत के दायर में आने वाले तीन यानी सपा के सिर्फ रेवती रमण सिंह ही लोकसभा सांसद है। अमर सिंह व अहमद पटेल राज्यसभा के सांसद हैं। परंपरा के अनुसार दूसरे सदन के सदस्यों के आचरण की जांच लोकसभा समिति के दायर के बाहर होने की वजह से उन्हें जांच में तलब करना मुश्किल है। भाजपा इसीलिए जांच को जल्द पूरा करने की बात कर रही है ताकि स्पीकर पर यह दवाब बनाया जा सके कि लोकसभा की जांच पूरी होते ही वे शिकायत में नामित सत्ता पक्ष के दो राज्यसभा सदस्यों के खिलाफ समानांतर जांच की सिफारिश कर सकें। सरकार को अहसास है कि विपक्ष, खास तौर पर भाजपा मानसून सत्र तब तक नहीं चलने देगी,ाब तक वोट के बदले नोट कांड की निष्पक्ष जांच सामने नहीं आती। विपक्ष पहले ही सवाल उठा चुका है कि सात सदस्यीय समिति का गठन कर समिति के महत्व को कम कर दिया गया है। लोकसभा में भाजपा के उपनेता प्रो. विजय कुमार मल्होत्रा ने सोमवार को हिंदुस्तान से बातचीत में कहा कि हम मौजूदा जांच समिति के सदस्यों की संख्या को उतना ही चाहते हैं, जितनी संख्या कबूतरबाजी मामले में जांच के लिए रखी ग्ई थी। उस समिति में 11 सदस्य रखे गए थे, उसमें भाकपा,शिव सेना बीजद और एनसीपी के सदस्य को भी जगह मिली थी। भाजपा अगर जांच समिति के सदस्यों की संख्या बढ़ाने पर अड़ी रही तो इससे पूरी जांच ही पचड़े में फंस सकती है।

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