झारखंड में नया राजनैतिक समीकरण बनाने की तैयारी
झारखंड में एक बार फिर नया राजनैतिक समीकरण बनने जा रहा है। मुख्यमंत्री पद के दावेदार झामुमो के हेमंत सोरेन एक गठबंधन बनाने की तैयारी में है ताकि 13 साल पहले बने इस राज्य को नौवीं सरकार दे सकें। गत 15...
झारखंड में एक बार फिर नया राजनैतिक समीकरण बनने जा रहा है। मुख्यमंत्री पद के दावेदार झामुमो के हेमंत सोरेन एक गठबंधन बनाने की तैयारी में है ताकि 13 साल पहले बने इस राज्य को नौवीं सरकार दे सकें।
गत 15 नवंबर 2000 को झारखंड के अलग राज्य बनने के बाद से राज्य ने आठ सरकारें और चार मुख्यमंत्री देखे हैं। बाबू लाल मरांडी (नवंबर 2000 से मार्च 2003), अर्जुन मुंडा (2003, 2005, 2010), शिबू सोरेन (2005, 2008, 2009) और मधु कोड़ा (2006) अब तक मुख्यमंत्री रहे हैं।
जद (यू) के वरिष्ठ नेता प्रमोद मिश्र ने बताया कि इस पृष्ठभूमि और अपने पिता के मुख्यमंत्री के तौर पर तीन संक्षिप्त कार्यकाल और ऐसे ही तीन अन्य पूर्व मुख्यमंत्रियों के कार्यकाल से पूरी तरह वाकिफ हेमंत को खासतौर पर कुछ निर्दलीय विधायकों के संबंध में बेहद सतर्क रहना होगा क्योंकि वे भारी मोलभाव करेंगे।
कांग्रेस नेता और राज्य के पूर्व उप मुख्यमंत्री स्टीफन मरांडी ने कहा कि झारखंड में राजनैतिक अस्थिरता छोटे दलों और निर्दलीयों में निहित है, जो सूक्ष्म मुद्दों पर चुनाव जीतकर सरकार गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। मरांडी ने कहा कि विधानसभा की कम संख्या में सीटें होने से भी राजनैतिक स्थिरता प्रभावित हुई है। मरांडी 2009 के विधानसभा चुनाव में हेमंत सोरेन से दुमका से चुनाव हार गए थे। उन्होंने कहा कि नेताओं की विश्वसनीयता का ह्रास भी 2009 में खंडित जनादेश मिलने का कारण है।
आजसू अध्यक्ष और पूर्व उप मुख्यमंत्री सुदेश महतो ने कहा कि नेतृत्व के अभाव ने राज्य को सबसे ज्यादा चोट पहुंचाई है।
झामुमो (18 विधायक) ने कांग्रेस के 13, राजद के पांच विधायकों और कुछ निर्दलीयों का समर्थन पत्र हासिल कर लिया है और उसे मार्क्सुवादी समन्वय समिति के विधायक अरूप चटर्जी का समर्थन हासिल करने की उम्मीद है। साथ ही राज भवन जाकर सरकार बनाने का दावा करने के लिए उसे 82 सदस्यीय विधानसभा में जरूरी बहुमत जुटाना है। पूर्व सांसद सूरज मंडल ने राष्ट्रीय राजनैतिक दलों पर झारखंड की जमीनी हकीकतों की अनदेखी करने का आरोप लगाया।