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जमुई में मजदूरों से ज्यादा मशीन को तरचाीह

राष्ट्रीय ग्रामीण रोगार गारंटी योजना (नरगा) 2006 जमुई जिले में शुरू हो गयी, परंतु जिन मूलभूत उद्देश्यों को लेकर यह योजना शुरू की गई उन उद्देश्यों की पूर्ति कराने में जिला प्रशासन पिछड़ रहा है। नरगा...

 जमुई में मजदूरों से ज्यादा मशीन को तरचाीह
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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राष्ट्रीय ग्रामीण रोगार गारंटी योजना (नरगा) 2006 जमुई जिले में शुरू हो गयी, परंतु जिन मूलभूत उद्देश्यों को लेकर यह योजना शुरू की गई उन उद्देश्यों की पूर्ति कराने में जिला प्रशासन पिछड़ रहा है। नरगा के तहत तालाब, नहरों, जमींदारी बांधों आदि की खुदाई एवं मरम्मत का काम मजदूरों से कम और मशीनों से ज्यादा लिया जा रहा है। जेसीवी मशीन द्वारा तालाबों, आहरों, नहरों के तल आदि की खुदाई की गई। चकाई, झाझा, लक्ष्मीपुर, खरा, सोनो, सिकंदरा, अलीगंज आदि प्रखंडों में यह काम ज्यादा देखा गया है। मशीन द्वारा काम किए जाने के अतिरिक्त कार्य बिचौलियों या नवोदित तथाकथित ठेकेदारों द्वारा कराए जाने की मौखिक और लिखित शिकायत उच्चाधिकारियों से की गई। इस संबंध में जांच भी हुई लेकिन मामले दबते चले गए। लक्ष्मीपुर में एक-दो शिकायतें थाने तक भी पहुंची। चकाई प्रखंड में धरना-प्रदर्शन तक भी हुआ। शायद ही किसी कार्य स्थल पर मजदूरों के लिए पीने के पानी, विश्राम स्थल, महिला मजदूरों के 6 साल तक के बच्चों के लिए पलना (क्रैश) आदि की व्यवस्था की गयी जो नरगा के मानदंडों और प्रावधानों का स्पष्ट उल्लंघन है। लोग महा इस बात से खुश हैं कि चलो भाई किसी ढंग से कुछ काम तो हो रहा है।ड्ढr ड्ढr नतीजतन मजदूरों का पलायन नाम मात्र का ही रुक पाया है और आज भी बड़ी संख्या में मजदूर राज्य से बाहर पलायन कर रहे हैं। यहां तक कि सिकंदरा, सोनो, लक्ष्मीपुर आदि प्रखंडों के किसानों को रोपनी कार्य कराने के लिये जिले से बाहर यानी सहरसा, खगड़िया आदि जिलों से मजदूर मंगवाना पड़ रहा है। 2 अगस्त की रात सिकंदरा-लखीसराय रोड में ट्रक दुर्घटना होने से 32 मजदूर मार गए और करीब 3 दर्जन से अधिक जख्मी होने वाली घटना, इसकी पुष्टि करती है। डीआरडीए के निदेशक बताते हैं कि इस योजना के तहत 1.04.2008 को उपलब्ध राशि 4लाख रुपए थी। वर्ष 2008-200में सरकार से 2027.072 लाख रुपए प्राप्त हुए।जिनमें से 1174.02 लाख रुपए खर्च किए गए और 1347.5लाख रुपए बचे हुए हैं।ड्ढr कुल 1530 योजनाएं ली गईं जिनमें 1166 योजनाएं पूरी की गईं और 364 अपूर्ण हैं। वर्ष 2008-200में 46 योजनाएं ली गई हैं। इस योजना के तहत अबतक 150172 जॉब कार्ड मजदूरों को निर्गत किए गए हैं।

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