फोटो गैलरी

Hindi News मुसीबत में मुशर्रफ

मुसीबत में मुशर्रफ

अपने खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने के फैसले से पाकिस्तान के राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ फिर संकट में हैं। इसकी गंभीरता का अंदाजा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि उन्हें अपनी चीन-यात्रा रद्द करनी पड़ी।...

 मुसीबत में मुशर्रफ
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
ऐप पर पढ़ें

अपने खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने के फैसले से पाकिस्तान के राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ फिर संकट में हैं। इसकी गंभीरता का अंदाजा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि उन्हें अपनी चीन-यात्रा रद्द करनी पड़ी। महाभियोग चलाने पर सत्तारूढ़ गठबंधन के दो बड़े दलों- पीपीपी और पीएमएल (एन) के बीच मतभेद थे, जिससे लंबे समय तक गतिरोध बना रहा। जहां पीपीपी नेता आसिफ जरदारी आनाकानी कर रहे थे, वहीं पीएमएल (एन) नेता नवाज शरीफ महाभियोग चलाने व बर्खास्त जजों की बहाली की मांगों पर अड़े रहे। अंतत: ये दोनों मांगें मनवाने में उन्हें कामयाबी मिली। पाक में यह पहला मौका होगा, जब किसी राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाया जाएगा। इसकी मंजूरी के लिए नेशनल असेम्बली और सीनेट के दो-तिहाई सदस्यों के समर्थन की जरूरत पड़ेगी, पर यह आसान नहीं होगा। नेशनल असेम्बली में सत्तारूढ़ गठबंधन के पास दो-तिहाई बहुमत है, लेकिन सीनेट में मुशर्रफ-समर्थकों की संख्या लगभग आधी है। अपनी नाकामियों के कारण अलोकप्रिय हो चुके मुशर्रफ के विरोध में राजनीतिक माहौल व्याप्त है, जिसका महाभियोग में फायदा उठाया जा सकता है। इसके बावजूद पाक राजनीति के कई जटिल पेंच हैं, जिनको अपने पक्ष में मोड़ने का मुशर्रफ प्रयास करं तो आश्चर्य नहीं होगा। पहला, संविधान के अनुच्छेद 58 (2 बी) का इस्तेमाल कर वह नेशनल असेम्बली भंग कर अंतरिम सरकार बनवा सकते हैं। दूसरा, महाभियोग की प्रक्रिया अत्यंत लंबी होती है, जिसमें जोड़-तोड़ के माहिर खिलाड़ी मुशर्रफ को अपनी कलाबाजी दिखाने का मौका हाथ लगेगा। तीसरा, महाभियोग को लेकर सेना का क्या रुख रहेगा, यह देखने वाली बात होगी, क्योंकि वह अभी भी सत्ता की एक प्रमुख केंद्र है। चौथा, अमेरिका अब तक मुशर्रफ पर दांव लगाता रहा और आतंकवाद के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय अभियान में उन पर काफी भरोसा भी किया। पाक राजनीति की नकेल एक हद तक अमेरिकी हाथों में रही है, इसलिए उसका भावी रुख भी मुशर्रफ की किस्मत तय करने में महत्वपूर्ण होगा।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें