आप अच्छे लगने लगे
भैयाजी के पढ़ाई के साथ संबंध कुछ वैसे ही रहे जैसे उमा-भाजपा के बीच के रिश्ते। प्राइमरी तक टॉप स्तर पर रहे, मिडिल में खिसक कर मिडिल में आ गए और हाईस्कूल आते ही फिसल कर बॉटम यानि न्यूनतम स्तर पर आ...
भैयाजी के पढ़ाई के साथ संबंध कुछ वैसे ही रहे जैसे उमा-भाजपा के बीच के रिश्ते। प्राइमरी तक टॉप स्तर पर रहे, मिडिल में खिसक कर मिडिल में आ गए और हाईस्कूल आते ही फिसल कर बॉटम यानि न्यूनतम स्तर पर आ गिरे। हाईस्कूल में ही विज्ञान विषय में परमाणु पर भी एक अध्याय था। माटसाब पढ़ाते कि परमाणु के केन्द्र में प्रोटान, न्यूट्रान रहते हैं और इलेक्ट्रान बाहरी कक्षा में चक्कर काटता रहता है। उस समय भैया जी का कुँआरा मन भी ब्लैक बोर्ड के बजाय लडकियों से भरी बायोलॉजी की क्लास के आसपास मंडराता रहता था। इसी कारण उनके परमाणु ज्ञान की नींव शुरू से ही कमजोर पड़ी। वो तो शिक्षा विभाग का भाग्य कहें या भैयाजी का, उन्होंने पढ़ाई की लाईन छोड़ दी और जमीन की दलाली के साथ-साथ राजनीति में टांग फंसा कर दोनो धंधे सहजता के साथ करने लगे। हालांकि यह कन्यफ्यूजन हमेशा बना रहा कि कमल का सहारा लें या हाथ का, साइकिल की सवारी करें या हाथी की। बचपन से ही उनमें राष्ट्रप्रेम की भावना कूट-कूट कर भरी थी। पिछले दिनों परमाणु पर राष्ट्रव्यापी बहस के दौरान यही राष्ट्रप्रेम उन्हें तकलीफ देता। परमाणु संबंधी अल्प ज्ञान के कारण वह समझ न पाते कि इससे राष्ट्र का भला होगा या वह पतन के गर्त में जाएगा। इस करार से देश बिजली उत्पादन में आत्मनिर्भर हो जाएगा या उसके परमाणु संयंत्र विश्व समुदाय के लिए खुल जाएंगे? इन विराट प्रश्नों के सम्मुख उनकी समझदानी छोटी पड़ जाती। कल उनसे अचानक मुलाकात हो गई। वे गुनगुना रहे थे आप मुझे अच्छे लगने लगे। मैंने पूछा- भैयाजी आज एकदम पैदल ना हाथी ना साइकिल। और यह क्या गुनगुना रहे हैं? वे बोले- मुझ करार अच्छा लगने लगा है। मैंन कहा- अच्छा फिर पार्टी बदल ली। वे बोले- नहीं यार आज मैं आम हिन्दुस्तानी हूँ। तो यह परिवर्तन कैसे आया- मैंने पूछा। वे बोले- दरअसल मैं अभी तक करार को राष्ट्रप्रेम की कसौटी पर परखता था। अब जब राष्ट्रविरोधी परीक्षण किया तो सफल रहा। मैंने आश्चर्य स कहा- राष्ट्रविरोधी? वा कैसे। वे फुसफसा कर बोले- यह राज की बात है। तुम अपने वाले हो इसलिए बतला रहा हूं। जब से पाकिस्तान ने हमारे जैसी डील की मांग अमेरिका स करी है मेरे मन में शंकाओं के बादल बरस गए। अब अगर चाइना इस डील का विरोध कर दे तब सौ टका पक्का हो जाएगा कि इस डील से भारत का भला होगा। अगर कुछ मालूम पड़े तो बतलाना, वह गुनगनाते हुए आगे बढ़ गए।