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यह हार नहीं, जश्न का दिन है

यह हार के मलाल का नहीं बल्कि जश्न मनाने का दिन है। यह कहना है भारत के राष्ट्रीय कोच जीएस संधू का। यहां 75 किलोवर्ग के सेमीफाइनल में विजेंदर की हार के बाद ओलंपिक में भारतीय मुक्केबाजी का पन्ना जोड़ने...

 यह हार नहीं, जश्न का दिन है
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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यह हार के मलाल का नहीं बल्कि जश्न मनाने का दिन है। यह कहना है भारत के राष्ट्रीय कोच जीएस संधू का। यहां 75 किलोवर्ग के सेमीफाइनल में विजेंदर की हार के बाद ओलंपिक में भारतीय मुक्केबाजी का पन्ना जोड़ने वाले विजेंदर कुमार के कोच जीएस संधू ने कहा कि मैं हार से निराश नहीं हूं। मेर बाक्सर ने पूरा जोर लगाया। बाक्िसंग में क्यूबा का नाम ही काफी है। जबकि बायोक्स क्यूबा का नम्बर एक मुक्केबाज है। ऐसे मुक्केबाज के सामने हमार मुक्केबाज ने जीवट प्रदर्शन किया। वह अधिक ताकतवर निकला पर हमने यहां पहली बार ओलंपिक का पदक जीता है, हमें इसका जश्न मनाना है। गोल्ड पर नजर जरूर थी पर यह मुक्केबाज बहुत कठिन था। विजेंदर की सफलता से देश की मुक्केबाजी में क्रांतिकारी परिवर्तन आएगा। देश के कोने कोने में मुक्केबाजी की भिवानी जसी कार्यशालाएं बन जाएंगी। कुल मिला कर बीजिंग में हमने भारतीय मुक्केबाजी की तस्वीर बदल दी है। अब इस पदक से युवाओं को मुक्केबाजी में करियर दिखने लगेगा। देश के मुक्केबाज और अधिक मेहनत करंगे और जीतने के प्रयास करंगे। सो यह तय है कि मुक्केबाजी का भविष्य उज्ज्वल है। हमारा भी सफर अभी खत्म नहीं हुआ है। हमार मुक्केबाजों को यहां बहुत अनुभव हासिल हुआ है। अब कामनवैल्थ गेम में हमारा आत्मविश्वास और भी परवान चढ़ा होगा। साथ ही अगले ओलंपिक में हम नए हौसले लेकर आएंगे। आज के मुकाबले के बारे में गुरबख्श सिंह संधू ने कहा कि हमने पहले राउंड में क्यूबा के मुक्केबाज की परख लेने की नीति बनाई थी पर उसने इस दौर में 2-0 की बढ़त लेकर मुकाबला कठिन कर दिया।

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