समस्तीपुर में जनता की चुप्पी से मुश्किल में प्रत्याशी
बिहार के समस्तीपुर (सुरक्षित) लोकसभा क्षेत्र के लिए दूसरे चरण में होने वाले मतदान को लेकर चुनावी सरगर्मी लगातार बढ़ती जा रही है, वहीं वोट डालने को लेकर मतदाताआें के बीच असमंजस की स्थिति अभी भी बनी...
बिहार के समस्तीपुर (सुरक्षित) लोकसभा क्षेत्र के लिए दूसरे चरण में होने वाले मतदान को लेकर चुनावी सरगर्मी लगातार बढ़ती जा रही है, वहीं वोट डालने को लेकर मतदाताआें के बीच असमंजस की स्थिति अभी भी बनी हुई है। समस्तीपुर संसदीय सीट पर मुख्य मुकाबला केन्द्रीय मंत्री राम विलास पासवान के भाई और लोक जनशक्ित पार्टी (लोजपा) प्रत्याशी रामचंद्र पासवान और जनता दल यूनाईटेड (जदयू) के उम्मीदवार महेश्वर हजारी के बीच माना जा रहा है। वैसे कांग्रेस के अशोक कुमार इस संघर्ष को त्रिकोणीय बनाने के प्रयास में है। इस सीट के लिए बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के बिन्देश्वर राम भाकपा माले के जीवछ पासवान समेत 11 प्रत्याशी चुनाव मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे है। लोजपा प्रत्याशी रामचंद्र पासवान ने वर्ष 2004 में हुए लोकसभा चुनाव में रोसडा (सुरक्षित) सीट से जनता दल (यूनाइटेड) के प्रत्याशी एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री दसई चौधरी को एक लाख 38 हजार 411 मतों से पराजित कर जीत दर्ज की थी। इस चुनाव में पासवान को तीन लाख हजार 240 मत मिले थे जबकि चौधरी को दो लाख 55 हजार 82मत प्राप्त हुए थे। नए परिसीमन के बाद समस्तीपुर लोकसभा क्षेत्र में दरभंगा जिले के हायाघाट और कुशेश्वर स्थान (सुरक्षित) के साथ-साथ कल्याणपुर (सुरक्षित) वारिसनगर, समस्तीपुर और रोसडा (सुरक्षित) विधानसभा क्षेत्र शामिल है। वहीं परिसीमन में समस्तीपुर जिले के सिधिया (सुरक्षित) क्षेत्र को समाप्त कर दिया गया जबकि हसनपुर क्षेत्र को समस्तीपुर सीट से हटाकर खगड़िया लोकसभा क्षेत्र में जोड़ दिया गया है। इस परिसीमन के बाद समस्तीपुर सीट पर राजनीतिक समीकरण में भी बदलाव आया है। इस लोकसभा क्षेत्र में कुल 13 लाख 12 हजार मतदाता है, जिनमें सात लाख दो हजार 480 पुरूष एवं छह लाख दस हजार 468 महिला मतदाता शामिल है। चुनाव को लेकर मतदाताआें की चुप्पी से प्रत्याशियों की बेचैनी बढ़ी हुई है। वैसे राजद-लोजपा गठबंधन के प्रत्याशी रामचन्द्र पासवान समस्तीपुर के विकास के प्रति समर्पित होने का मुद्दा उठाकर मतदाताआें को रिझाने में लगे है। वहीं राजग प्रत्याशी महेश्वर हजारी बिहार के सर्वागीण विकास में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के हाथों को मजबूत करने और विकास के मुद्दे को क्षेत्र में जबर्दस्त ढंग से उठा रहे है जबकि कांग्रेस प्रत्याशी डा. अशोक कुमार केन्द्र की कांग्रेस नीत सरकार की उपलब्धियों के सहारे संघर्ष को त्रिकोणात्मक बनाकर संसद में पहुंचने के लिए जी तोड़ प्रयास कर रहे हैं।ं