नाभिकीय ऊचरा खाद्यान्न उत्पादन में भी उपयोगी
वातावरण में किसी न किसी रूप में रडियोधर्मी किरणें या तव्व मौाूद रहते हैं। मिट्टी, पत्थर, पानी हरोगह इनकी मौाूदगी है। वहाँ से विकिरण हो रहा है। खाने-पीने के सामान व साँस केोरिए मानव शरीर में रडिएशन...
वातावरण में किसी न किसी रूप में रडियोधर्मी किरणें या तव्व मौाूद रहते हैं। मिट्टी, पत्थर, पानी हरोगह इनकी मौाूदगी है। वहाँ से विकिरण हो रहा है। खाने-पीने के सामान व साँस केोरिए मानव शरीर में रडिएशन पहुँच रहा है। पर यह खतरनाक नहीं हैं। क्योंकि प्राकृतिक रूप से इनका संतुलन बना रहता है। अगर यही रडियोधर्मी किरणों की मात्रा बढ़ोाए तो समूल नाश की वाह बन सकती है। स्वास्थ्य, कृषि व उद्योगों में परमाणु ऊरा का इस्तेमाल काफी उपयोगी साबित हो रहा है। परमाणु ऊरा के शांतिपूर्ण व रचनात्मक उपयोग पर यह बातें भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (बार्क) के विशेषज्ञों ने छात्रों के लिए आयोितोागरूकता कार्यक्रम में कहीं।ड्ढr केन्द्र के विशेषज्ञ, नाभिकीय ऊरा के शांति पूर्ण उपयोग के सम्बंध में छात्रों कोोागरूक करने शहर में हैं। दो दिनों के कार्यक्रम में वह विभिन्न स्कूलों में ‘एटम फार पीस’ पर व्याख्यान दे रहे हैं। इस कड़ी में सेंटोोसेफ माण्टेसरीइण्टर कॉलेा ठाकुरगां में विशेषज्ञों ने ज्ञानवर्धकोानकारी दी। सेंटर के पब्लिक अवेयरनेस एण्ड रिलेशन विभागाध्यक्ष डॉ.एसके मल्होत्रा ने कहा कि ऊरा की माँग दिनों-दिनों बढ़ रही है। 74 प्रतिशत बिाली कोयले से पैदा कीोा रही है। कोयले के सीमित स्रेत से, आने वाले समय में परमाणु बिाली पर निर्भरता बढ़ेगी। डॉ.बीके सप्रा ने कहा कि कृषि,स्वास्थ्य एवं बागवानी में नाभिकीय ऊरा का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर संभव है। विकिरण से शोधित बीाों से दलहन व तिलहन के उत्पादन में क्षाफा देखाोा रहा है। इससे शोधित बीा बार में उपलब्ध हैं।ोल्दी ही रोग प्रतिरोघक क्षमता वाली दूसरी खाद्यान्न फसलों के लिए बीा भी उपलब्ध होोाएँगे। डॉ. सप्रा के मुताबिक न्यूक्िलयर एनर्ाी पर आधारित सीवे ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) भी बनने लगे हैं। इस एसटीपी में पैथोोनिक बैक्टीरिया यानी रोग के कारक बैक्टीरिया को ‘गामा रडिएशन’ से खत्म कर दियाोाता है। इंडियन एसोसिएशन फार रडिएशन प्रोटेक्शन के सदस्य एएच खान ने बताया कि रेडिएशन का नियंत्रित इस्तेमाल कियाोाना चाहिए। इस मौके पर काॉेल की प्रबंधक पुष्पलता अग्रवाल, रााीपुरम शाखा की प्रधानाचार्या डॉ.शबनम राा व निदेशक अनिल अग्रवाल समेत काॉेल के छात्र व शिक्षक मौाूद थे। अध्यक्षता लविवि के प्रो.एसके गौड़ ने की।