फर्जी जाति प्रमाणपत्र लगाने वाले धर जाएँगे
अब सरकारी सेवाओं और शैक्षिक संस्थाओं में फर्जी जाति प्रमाणपत्र लगाने वाले आसानी से धर जाएँगे। राजस्व परिषद ने प्रदेश की सभी तहसीलों से जारी होने वाले आय, निवास और जाति प्रमाणपत्रों के लिए आगामी एक...
अब सरकारी सेवाओं और शैक्षिक संस्थाओं में फर्जी जाति प्रमाणपत्र लगाने वाले आसानी से धर जाएँगे। राजस्व परिषद ने प्रदेश की सभी तहसीलों से जारी होने वाले आय, निवास और जाति प्रमाणपत्रों के लिए आगामी एक सितम्बर से 11 अंकों वाला क्रमांक अनिवार्य कर दिया है। अभी तक नंबरिंग में भिन्नता होती थी और प्राय: चार अंकों की होती थी। अब तहसील मुख्यालयों पर लगे कम्प्यूटरों पर अनुसूचित जाति और पिछड़े वर्ग के लोगों के लिए जारी होने वाले जाति प्रमाणपत्रों का ब्यौरा रोज दर्ज होगा। जो राजस्व परिषद की वेबसाइट ँ३३स्र्:ु१.्रू.्र पर भी डाला जाएगा। इस वेबसाइट पर 11 अंकों के कोड के जरिए प्रमाणपत्र का सत्यापन किया जा सकेगा।ड्ढr नई व्यवस्था के तहत 31 अगस्त 2008 के बाद प्रदेश में किसी भी तहसील जारी होने वाला प्रमाणपत्र का क्रमांक 11 अंकों का होगा, जिसमें प्रथम दो अंक जनपद (01 से 71 तक), अगला एक अंक जनपद की तहसील संख्या (1 से तक), अगले दो अंक वर्ष (08 व इससे आगे) तथा उसके बाद एक डिजिट (अंक) प्रमाणपत्र के लिए (अर्थात् 1-आय प्रमाणपत्र, 2-निवास प्रमाणपत्र, 3-पिछड़ी जाति प्रमाणपत्र, 4-अनुसूचित जाति प्रमाणपत्र, 5-अनुसूचित जन जाति प्रमाणपत्र) के लिए निर्धारित किया गया है। इसके बाद शेष अंक (00001 से तक) एक जनवरी से 31 दिसम्बर तक लगातार जारी किए जाएँगे। चालू कैलेण्डर वर्ष (2008) के लिए दिनांक 01-0008 के प्रमाणपत्र को 00001 से शुरू किया जा सकता है। अगले वर्ष की नंबरिंग 01 जनवरी को 00001 से शुरू होगी।ड्ढr जानकार सूत्रों ने बताया कि अब सरकारी नौकरी पाने के लिए या किसी शिक्षा संस्था में प्रवेश के लिए या किसी आवासीय योजना में पंजीकरण के समय जो लोग अपने आवेदन के साथ आरक्षित श्रेणी का प्रमाण लगाते हैं, उनमें कुछ फर्जी भी होते हैं। संबंधित कार्यालय या संस्था द्वारा आवेदनपत्रों के साथ लगे ऐसे प्रमाणपत्रों का सत्यापन कराना आसान नहीं होता है और इसमें कई महीने तक लग जाते हैं। अब तहसीलों से बनने वाले जाति प्रमाणपत्रों का ब्योरा राजस्व परिषद की वेबसाइट पर डालना अनिवार्य कर दिया गया है। इससे अब फर्जी प्रमाणपत्र लगाने वाले आसानी से धर जा सकेंगे। फर्जी आय प्रमाणपत्र के जरिए प्राय: संपन्न वर्ग के लोग कम आय दिखाकर निर्बल और अल्प आय वर्ग के लोगों के मकानों के लिए पंजीकरण भी करा लेते हैं। अब उस पर भी रोकथाम लगेगी। कम्प्यूटर के जरिए पारदर्शिता आने से लोग फर्जी प्रमाणपत्र से लाभ उठाने वाले लोगों की शिकायत भी दर्ज करा सकेंगे।