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गरीब बच्चे और उच्च शिक्षा

दोषी कौन? अभिनव बिन्द्रा के गोल्ड मैडल के शोर में शायद मणिपुरी भारोत्तोलक एल. मोनिका देवी की सिसकियां दब गईं। अधिकारियों की नाराजगी ने उसके ओलंपिक में भाग लेने के सपने को चकनाचूर कर दिया। एक...

 गरीब बच्चे और उच्च शिक्षा
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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दोषी कौन? अभिनव बिन्द्रा के गोल्ड मैडल के शोर में शायद मणिपुरी भारोत्तोलक एल. मोनिका देवी की सिसकियां दब गईं। अधिकारियों की नाराजगी ने उसके ओलंपिक में भाग लेने के सपने को चकनाचूर कर दिया। एक खिलाड़ी ओलंपिक में भाग लेने के लिए 4 से 8 साल तक जी-ाान से मेहनत करता है। उसके बाद ऐसा रवैया खिलाड़ियों के मनोबल को तोड़ देता है। वैसे किसे परवाह है खेलों की और खिलाड़ियों के मनोबल की। कपिल स्वामी, गाजियाबाद न्यायाधीशों की सम्पत्ति न्यायाधीशों की सम्पत्ति की जानकारी मिलनी चाहिए जनता को अन्यथा जनता के विश्वास पर लग जाएगा प्रश्नचिह्न्। दूसरी तरफ हाल ही में भारत के मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि प्रत्येक वर्ष कोई भी उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश कोई सम्पत्ति खरीदता है तो उसको मुख्य न्यायाधीश को इसकी जानकारी देनी पड़ती है। यह जरूरी है कि इस विषय में जनता को भी जानकारी का हक मिले। वीना रानी टांक, दिल्ली विश्वविद्यालय गुरु बने गुरूघंटाल ‘गुरु’ शब्द कभी श्रेष्ठ माना जाता था। विद्या या कला सिखाने वाला पूजनीय, सम्माननीय आचार्य गुरु कहलाता था। गुरु वह था जो व्यक्ितत्व को बनाता, संवारता था। एक प्रकार से नवजीवन का देने वाला समझा जाता था। अब ‘गुरु’ शब्द का अनर्थ कर दिया गया है। विडम्बना यह कि आज गुरु शब्द का ऐसा अर्थ हो गया है कि जो कुछ ऐसा कर कि दूसरों को ठगे अर्थात गुरूघंटाल हो। हर प्रकार के हथकंडों का प्रयोग कर मंत्री या मुख्यमंत्री बन सके। लाजपत राय सभरवाल, नई दिल्ली चुनावी वादों की बहार रंगबिरंगे पोस्टर, लुभावने इश्तहारड्ढr एक नेता के पीछे होगी जनता हाारड्ढr क्या करं जनता है ही बेबस और लाचारड्ढr पर सावधान हे ‘रंगे सियार’ड्ढr जनता अब नहीं रही बेबस और लाचारड्ढr यदि जनता ने माना तुझे अपना पालनहारड्ढr तो यकीन मान वही एक दिन करगी तेरा संहार विनोद कुमार शुक्ला, नेहरू विहार विकलांगों की समस्या सुने सरकार उत्तराखण्ड में विकलांगों की बहुत अधिक जानकारी सरकार के पास नहीं है। आज भी जनसाधारण को पता नहीं है कि यदि उनका बच्चा विकलांग है तो उसकी शिक्षा और पुनर्वास के लिए कहां जाना चाहिए। राज्य के विकलांगों की क्या-क्या समस्याएं हैं, उनके समाधान क्या हैं, यह जानने के लिए सरकार को साल में कम से कम एक संगोष्ठी तो करनी ही चाहिए। डी.सी. नौटियाल, ओम विहार, अजबपुर

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