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हंग से भली तो नेशनल गवर्नमेंट: शत्रु

चर्चित सिने स्टार और पटना साहिब संसदीय सीट से भाजपा उम्मीदवार शत्रुघ्न सिन्हा बुधवार के अपने उस बयान पर कायम हैं कि देशहित में यदि हंग पार्लियामेंट की संभावना बनती है तो नेशनल गवर्नमेंट बनना चाहिए।...

 हंग से भली तो नेशनल गवर्नमेंट: शत्रु
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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चर्चित सिने स्टार और पटना साहिब संसदीय सीट से भाजपा उम्मीदवार शत्रुघ्न सिन्हा बुधवार के अपने उस बयान पर कायम हैं कि देशहित में यदि हंग पार्लियामेंट की संभावना बनती है तो नेशनल गवर्नमेंट बनना चाहिए। इसमें देश की दो बड़ी पार्टी भाजपा और कांग्रस को सरकार में एक साथ शामिल होना चाहिए। गुरुवार को ‘हिन्दुस्तान’ से बातचीत में बिहारी बाबू ने कहा कि उनके बयान पर कोई हंसे, कोई इसे मजाक में ले, लेकिन यह एक कलाकार और संवेदनशील नागरिक की सोच है। उनकी मानें तो इसी रास्ते पर चलकर देश की तरक्की होगी और क्षेत्रीय पार्टियों की ब्लैकमेलिंग को रोका जा सकेगा। श्री सिन्हा ने जर्मनी का उदाहरण देते हुए कहा कि जब वहां रुलिंग पार्टी और विपक्ष मिलकर सत्ता संभाल सकती है तो भारत में क्यों नहीं? देश की तरक्की के लिए भाजपा और कांग्रस मिलकर क्यों नहीं सरकार चला सकते? इससे सरकार को स्थायित्व भी मिलेगा। बेवजह विकास कार्यो में रोड़े नहीं अटकाए जाएंगे और जनता पर चुनाव का बोझ लादा नहीं जा सकेगा।ड्ढr ड्ढr बिहारी बाबू ने कहा कि जिस तरह से परिणाम को लेकर अटकलबाजियां हो रही हैं, पार्टियों को मिलने वाली सीटों का कयास लगाया जा रहा है, उस स्थिति में नेशनल गवर्नमेंट ही एकमात्र स्थायी विकल्प है। संयोग से दोनों पार्टियों में अनुभवी नेता हैं, आर्थिक, रक्षा व विदेश आदि नीतियां भी दोनों पार्टी की एक हैं, इसलिए यह सरकार स्थायी होगी। अपने तर्क में श्री सिन्हा ने कहा कि सरकार साथ बनाने के लिए जेपी के सहयोगी, इमरजेंसी के सताए हुए लालू प्रसाद कांग्रस के साथ हो सकते हैं। डीएमके राजीव गांधी की पार्टी के साथ हो सकती है। मायावती कई बार भाजपा के साथ आ सकती हैं। रामविलास पासवान अलग-अलग तर्को के साथ कभी एनडीए तो कभी यूपीए की सरकार में शामिल हो सकते हैं। जयललिता भाजपा के साथ और मुस्लिम लीग कांग्रस के साथ जा सकती है। मुलायम सिंह न्यूक्िलयर डील मुद्दे पर कांग्रस की सरकार को बचा सकते हैं तो जनहित में कांग्रस और भाजपा का एक साथ नेशनल गवर्नमेंट में शामिल होना आश्चर्य की बात नहीं। आज न कल जनता इस मुद्दे को उठाएगी, तब वह अध्यादेश बन जाएगा।ं

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