भारत-अमेरिका परमाणु करार : एनएसजी अब भी रास्ते पर नहीं
भारत के तीन दशक से भी लंबे ‘परमाणु वनवास’ के समाप्त होने की उम्मीदों को शुक्रवार देर रात झटका लगा जब भारत को परमाणु व्यापार की बिना शर्त छूट दिए जाने के सवाल पर विरोध कर रहे परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह...
भारत के तीन दशक से भी लंबे ‘परमाणु वनवास’ के समाप्त होने की उम्मीदों को शुक्रवार देर रात झटका लगा जब भारत को परमाणु व्यापार की बिना शर्त छूट दिए जाने के सवाल पर विरोध कर रहे परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) के सदस्य देश आम सहमति कायम करने में सफल नहीं हो सके। ऑस्ट्रिया, जिसकी राजधानी वियना में यह बैठक हो रही है ने भारत पर परमाणु प्रतिबंध समाप्त करने संबंधी अमेरिकी प्रस्ताव को यह कहते हुए स्वीकार करने से इनकार कर दिया कि वह अपने संसदीय चुनाव के करीब होने की स्थिति में परमाणु अप्रसार पर अपनी नीतियों में परिवर्तन नहीं कर सकता।ड्ढr ड्ढr वरिष्ठ भारतीय अधिकारियों के मुताबिक भारत को छूट दिए जाने के आस्ट्रिया के इस विरोध का साथ आयरलैंड और न्यूजीलैंड ने भी दिया। चीन भी यह जानना चाहता था कि आखिर भारत को छूट देने के लिए यह जल्दबाजी क्यों की जा रही है। स्थानीय समयानुसार सुबह :30 बजे शुरू हुई शुक्रवार की बैठक विचार विमर्श के लिए चार बार स्थगित की गई। अंतिम सत्र शाम साढ़े पांच बजे (भारतीय समयानुसार नौ बजे) शुरू हुआ। बैठक से बाहर आये राजनयिक निराश और आशान्वित दोनों ही मुद्राओं में दिखे। लेकिन कोई भी निष्कर्ष के बार में कुछ बताने को तैयार नहीं हुआ। भारत के अधिकारी एनएसजी की बैठक में उपस्थित नहीं थे क्योंकि भारत इसका सदस्य नहीं है। ऐसी स्थिति में भारत के खिलाफ प्रतिबंध हटवाने का पूरा दारोमदार अमेरिका का था। उसने सदस्य देशों को यह कहते हुए मनाने की हर संभव कोशिश की कि दुनिया के एक सबसे बड़े लोकतंत्र और अर्थतंत्र को विश्व परमाणु मुख्यधारा से बाहर रखना किसी भी दृष्टि से व्यावहारिक नहीं होगा। इसके लिए उसने भारत के परमाणु अप्रसार के रिकॉर्ड की भी दुहाई दी। इससे पहले नई दिल्ली में विदेश मंत्री प्रणव मुखर्जी ने अपने बयान में स्पष्ट कर दिया था, ‘भारत परमाणु अप्रसार, अपनी ओर से पहले परमाणु हथियारों का इस्तेमाल न करने और परमाणु परीक्षण पर रोक की अपनी एकतरफा घोषणा के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है।