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पाक: ई-पत्रिका ने शुरू की सेक्स पर बहस

पाकिस्तान के एक प्रमुख पोर्टल ने उत्तेजक तस्वीर और पोस्ट लिखकर सेक्स पर बहस की शुरुआत कर दी है। गूगल के अनुसार यह मुद्दा देश का सर्वाधिक चर्चित विषय है। पाकिस्तान की ऑनलाइन पत्रिका ‘पाक टी हाउस’ ने...

 पाक: ई-पत्रिका ने शुरू की सेक्स पर बहस
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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पाकिस्तान के एक प्रमुख पोर्टल ने उत्तेजक तस्वीर और पोस्ट लिखकर सेक्स पर बहस की शुरुआत कर दी है। गूगल के अनुसार यह मुद्दा देश का सर्वाधिक चर्चित विषय है। पाकिस्तान की ऑनलाइन पत्रिका ‘पाक टी हाउस’ ने अपने पाठकों को समाज की अनकही समस्या- सेक्स या इसकी अनावश्यकता- विषय पर खुलकर बोलने के लिए आमंत्रित किया है। ई पत्रिका के संपादक राा रूमी ने साइट पर लिखा है, ‘अंतत: यह एक ऐसा मुद्दा है जो पाकिस्तानी समाज में शीर्ष पर है। यौन इच्छाओं संबंधी पाखंड और इससे उपजी मनोव्यथा समाजिक समस्या का एक हिस्सा है। हम अपना मुंह बंद रखते हैं। हम बनावटी शिष्ट बनने में माहिर हैं। और यह सब हम कथित सामाजिक मर्यादाओं की खातिर करते हैं।’ पत्रिका ने इस विषय से संबंधित पहला उत्तेजक पोस्ट जो प्रकाशित किया है वह पोर्टल के नियमित लेखक कंदील शाम का है। शाम लिखते हैं, ‘अब स्पष्ट रूप से साबित हो गया है कि कुछ चीजें समाज में घृणा के स्तर तक गलत है जिससे कि एक आदमी को अपनी यौन इच्छाओं की पूर्ति के लिए पाशविकता की हद तक मजबूर कर देती हैं। यह बहुत ही निराशाजनक स्थिति है जो मनुष्य को इतना नीचे तक गिरा देती है। हमारी अंधी सामाजिक मर्यादाओं को स्थिति का बखूबी भान है जिसकी आड़ में हर आदमी तथ्यों को नकार देता है।’ शाम ने इस पोस्ट में लिखा है कि यह अलग तरह का लेकिन समाज का बहुत ही कुरूप चेहरा है कि यौन कुंठाओं के कारण पाकिस्तान में अगम्यागमन (सगे-संबंधियों के साथ यौनाचार), बच्चों का यौन उत्पीड़न और बलपूर्वक समलैंगिक संबंधों की घटनाएं बड़े पैमाने पर हो रही हैं। शाम के अनुसार, उनके मन में जरा भी संदेह नहीं है कि पाकिस्तान के हर परिवार के पास इस बार में कहने के लिए एक कहानी है। शाम की इस पोस्ट पर टिप्पणी करते हुए शेरी नामक ब्लॉगर ने लिखा है, ‘इस इलाके में समलैंगिक बलात्कार की जड़ें सांस्कृतिक तौर पर गहर तक पैठी हुई हैं। लेकिन साहित्य में इसकी कोई छाप नहीं दिखती। इसी तरह से सगे-संबंधियों के साथ होनेवाले यौनाचार के बार में भी हमार समाज में दबाई हुई चुप्पी कायम है।’

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