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हर साल 15 से 20 लाख सडेन डेथ

देश के जाने-माने कार्डियोलॉजिस्ट और पद्मश्री से सम्मानित डॉ बलवीर सिंह ने कहा है कि देश में हर साल 15 से 20 लाख लोगों की मौत सडेन डेथ से हो जाती है। ये मरीा कार्डियक एदिमिया (वैंट्रीकुलर फाइब्रीलेशन)...

 हर साल 15 से 20 लाख सडेन डेथ
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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देश के जाने-माने कार्डियोलॉजिस्ट और पद्मश्री से सम्मानित डॉ बलवीर सिंह ने कहा है कि देश में हर साल 15 से 20 लाख लोगों की मौत सडेन डेथ से हो जाती है। ये मरीा कार्डियक एदिमिया (वैंट्रीकुलर फाइब्रीलेशन) के शिकार होते हैं। हृदय में ‘एबनॉर्मल इलेक्िट्रल एक्िटविटी’ के कारण मरीाों के दिल की धड़कन असामान्य हो जाती है। यह अचानक काफी तेज या फिर काफी धीमी हो जाती है। ऐसे में मरीा की अचानक मौत हो जाती है। डॉ सिंह ने उक्त बातें रविवार को इंडियन सोसाइटी ऑफ इलेक्ट्रोकार्डियोलॉजी के ईस्ट जोन कांफ्रेंस सह एदिमिया कोर्स में उभर कर सामने आयीं।ड्ढr सडेन डेथ के मैनेजमेंट पर बोलते हुए डॉ सिंह ने इसके इलाज के बार में बताया। दो दिन तक चले कांफ्रेंस में इसीजी रीडिंग पर विशेष चर्चा की गयी। डॉ यश लोखंडवाला ने बताया कि इसीजी से तीनों आर्टरियों की खराबियों के बार में जाना जा सकता है। डॉ आदित्य कपूर ने पेसमेकर के बार में बताया। कांफ्रेंस में अजय नायक, रवि किशोर, केके शेट्टी, प्रशांत कामत, डॉ यश लोखंडवाला (मुंबई), डॉ नरसिम्हन (हैदराबाद), डॉ बलवीर सिंह (दिल्ली), डॉ अमित बोरा (मुंबई), डॉ आदित्य कपूर (लखनऊ), डॉ राकेश यादव (नयी दिल्ली) और डॉ अनिल मिश्रा (कोलकाता) सहित 400 से अधिक डॉक्टरों ने भाग लिया।ड्ढr कांफ्रेंस का उद्देश्य डॉक्टरों को प्रशिक्षित करना: डॉ गुप्ताड्ढr अपोलो अस्पताल के इंटरवेंशनल कार्डियलॉजिस्ट सह कांफ्रेंस के आयोजन सचिव डॉ दीपक गुप्ता ने कहा कि कांफ्रेंस का उदेश्य डॉक्टरों को प्रशिक्षित करना था। देश भर से आये जाने-माने डॉक्टरों ने अपने व्याख्यान दिये। समापन समारोह में इंडियन सोसाइटी ऑफ इलेक्ट्रोकार्डियोलॉजी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कांफ्रेंस की सफलता पर खुशी जाहिर की। आयोजन को सफल बनाने में डॉ एमपी सिंह, डॉ डीपी आर्या, डॉ एसके पाल सहित कई डॉक्टरों ने सरहानीय योगदान दिया।

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