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भाजपा-जदयू विवाद: लोस चुनाव के नतीजों पर असर पड़ना तय

सत्तारूढ़ भाजपा-जद यू के नेताओं के बीच चल रही तनातनी का असर आगामी लोकसभा चुनाव के नतीजों पर पड़ना तय है। प्रदेश भाजपा की सर्वोच्च नीति निधार्रक बॉडी-कोर कमेटी और स्पेशल ग्रुप की रविवार को हुई...

 भाजपा-जदयू विवाद: लोस चुनाव के नतीजों पर असर पड़ना तय
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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सत्तारूढ़ भाजपा-जद यू के नेताओं के बीच चल रही तनातनी का असर आगामी लोकसभा चुनाव के नतीजों पर पड़ना तय है। प्रदेश भाजपा की सर्वोच्च नीति निधार्रक बॉडी-कोर कमेटी और स्पेशल ग्रुप की रविवार को हुई हंगामेदार बैठक में यह साबित हो गया कि दोनों दलों के बीच संबंध सामान्य नहीं रहे हैं। एक के बाद एक अपमानित हो रहे अपने मंत्रियों और विधायकों का मुद्दा उठाते हुए लगभग सभी प्रमुख भाजपा नेताओं ने एक स्वर में कहा कि साझी सरकार सिर्फ कहने भर के लिए है। हकीकत यह है कि इसमें भाजपा की कोई औकात नहीं है।ड्ढr ड्ढr नेताओं के निशाने पर मोदी व राधामोहन रहे। वहीं बिहार प्रभारी कलराज मिश्र की मौजूदगी के बावजूद प्रदेश नेतृत्व खामोश रहा। छनकर आई खबरों के मुताबिक आखिरकार श्री मोदी का भी धैर्य जवाब दे गया और उनको कहना पड़ा कि स्थितियां अब उनके वश के बाहर चली गई हैं। केन्द्रीय नेतृत्व ही पहल कर तो कोई बात बनेगी। बैठक की खास बात रही कि प्रदेश नेतृत्व बिल्कुल अकेला पड़ गया और वह रक्षात्मक मुद्रा अख्तियार किए रहा। कुछ ऐसे नेताओं ने भी अपनी भड़ास निकली जो पहले नेतृत्व समर्थक माने जाते रहे हैं। उनके तीखे-चुभते सवालों का नेतृत्व को कोई जवाब नहीं सूझ रहा था। भाजपाई जानना चाह रहे थे कि आखिर जद यू विधायक रामप्रवेश राय के पीछे की ‘ताकत’ का ‘राज’ क्या है। किसकी शह पर वह बोल रहे हैं। कोई विधायक अपनी ही सरकार के मंत्री के खिलाफ इस तरह जहर उगलने का साहस तो नहीं करगा। पैसे-पैरवी की बात कहकर जून के सार ट्रांसफर-पोस्टिंग रोक दिए गए। तो क्या सभी मंत्री चोर हैं? आखिरकार प्रदेश की गठबंधन सरकार हमार ही बूते चल रही है। हम किसी के दया के मोहताज नहीं हैं। भाजपा नेतृत्व को कई बार मिली कड़ी चुनौतीड्ढr पटना (हि.ब्यू.)। रविवार की कोर कमेटी की बैठक कोई पहला मौका नहीं था जब प्रदेश भाजपा नेतृत्व को अपने ही नेताओं से मिली कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा हो। पिछले तीन साल के राजग शासनकाल में ऐसे कई मौके आए जब सत्तारूढ़ भाजपा के नेता-मंत्री अपने साझीदार जद यू के नेताओं के ‘हमले’ के शिकार हुए हैं। कुछ ऐसे भी प्रसंग आए जब भाजपा को अपनी ही सरकार के शासन-प्रशासन का भी कोप झेलना पड़ा।ड्ढr ड्ढr वर्ष 2005 के नवम्बर में सरकार बनने के फौरन बाद पूर्व मंत्री जनार्दन सिंह सीग्रीवाल को जद यू विधायक रामप्रवेश राय का कहर झेलना पड़ा था। श्री सीग्रीवाल थाने में ही श्री राय के खिलाफ धरने पर बैठ गए थे। बाद में खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दखल देकर मामले को शांत कराया। यह अलग बात है कि श्री सीग्रीवाल के दिल में इसकी कसक आज भी है। इसके बाद चनपटिया में भाजपा विधायक सतीशचन्द्र दूबे के भाई को उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के सामने ही किसी मामूली बात पर गिरफ्तार कर लिया गया और उनके कहने के बाद भी नहीं छोड़ा गया। इसे लेकर भाजपा में भारी बवाल मचा और श्री चौबे ने जमकर अपने नेताओं को खरी-खोटी सुनाई। बढ़ते दबाव के बाद आखिरकार विधायक के भाई रिहा हुए और डीएसपी का तबादला हुआ। इसके बाद विधायक फाल्गुनी प्रसाद यादव और खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री नरन्द्र सिंह के बीच मंच पर हुई धींगा-मुश्ती में श्री यादव की टांग टूट गई। आहत श्री यादव ने जद यू नेता नरन्द्र सिंह को मंत्रिमंडल से हटाने की मांग को लेकर आत्मदाह की घोषणा कर दी।ड्ढr ड्ढr उन्होंने न सिर्फ प्रदेश भाजपा अध्यक्ष राधामोहन सिंह को पत्र लिखकर विधायकी छोड़ने की धमकी दी बल्कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लिखे पत्र में सुशासन को भी कटघर में खड़ा कर दिया। जब किसी के मनाने पर भी वह नहीं माने तो भाजपा विधायक दल के नेता और उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी उनको लेकर दिल्ली राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह के दरबार में गए। वहां ऊंच-नीच समझाए जाने पर श्री यादव ने ‘मरना’ कैंसिल किया।

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