बसपा का ही पलड़ा भारी रहेगा
उत्तर प्रदेश से राय सभा की 10 सीटों के लिए अगले माह होने वाले चुनाव में पार्टी विधायकों की संख्या बसपा 10 में से पाँच, कांग्रस के साथ गठबंधन हुआ तो समाजवादी पार्टी तीन और भाजपा एक सीट आसानी से निकाल...
उत्तर प्रदेश से राय सभा की 10 सीटों के लिए अगले माह होने वाले चुनाव में पार्टी विधायकों की संख्या बसपा 10 में से पाँच, कांग्रस के साथ गठबंधन हुआ तो समाजवादी पार्टी तीन और भाजपा एक सीट आसानी से निकाल ले जाएगी। दसवीं सीट के लिए घमासान हो सकता है, लेकिन सत्तारूढ़ दल बसपा यह सीट भी निर्दलीयों और अन्य दलों के कुछ बागियों के सहयोग से निकालने की फिराक में है जबकि विपक्षी दलों के पास इस सीट के लिए आवश्यक मत जुटाने की क्षमता नहीं है।ड्ढr चुनावी फामरूले के तहत राय सभा की रिक्त प्रत्येक सीट के लिए 37 विधायकों का कोटा निर्धारित होगा। ऐसी स्थिति में 401 सदस्यीय विधानसभा में बसपा के 216 विधायक हैं। इस तरह 37 के कोटे के आधार पर बसपा की पाँच सीटें आसानी से निकल जाएँगी। छठी सीट निकालने के लिए शेष बचे 31 विधायकों के साथ बसपा को अन्य दलों के छह विधायकों का इंतजाम करना पड़ेगा। इनमें सपा के दो बागी धनीराम वर्मा और गौरी शंकर के अलावा चार निर्दलीय सत्तापक्ष के साथ हो गए हैं। समाजवादी पार्टी के विधायकों की संख्या है, यदि उसका कांग्रस के साथ गठबंधन हुआ तो कांग्रस के 21 विधायकों की संख्या मिलाकर कुल संख्या 115 हो जाएगी। ऐसी स्थिति में सपा दो के बजाय तीन सीट निकाल सकती है। ऐसा माना जा रहा है कि कांग्रस के इस एहसान के बदले वह अगले जनवरी माह में होने वाले विधान परिषद के चुनाव में कांग्रस की मदद करगी। भाजपा के विधायकों की संख्या 51 है। वह एक सीट के 37 मतों के कोटे के बल पर केवल एक सीट ही निकाल पाएगी। यदि उसका रालोद से गठबंधन हुआ तो 10 विधायकों के जुड़ने के बाद भी दूसरी सीट के लिए भाजपा के पास 13 मत कम पड़ते हैं। तेरह मतों को जुटाना भाजपा के लिए आसान नहीं है। अनुमान है कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ही एक मात्र पार्टी प्रत्याशी होंगे।ड्ढr इन 10 सीटों के लिए करीब छह साल पहले हुए चुनाव में समाजवादी पार्टी के चार, बसपा के तीन, भाजपा के दो और कांग्रस का एक प्रत्याशी चुनाव जीता था। सपा के राष्ट्रीय महासचिव अमर सिंह, शाहिद सिद्दीकी, अबू आसिम आजमी और उदय प्रताप सिंह का कार्यकाल आगामी 25 नवम्बर को समाप्त हो रहा है। इनमें शाहिद सिद्दीकी अब बसपा में चले गए हैं। बसपा के ईसम सिंह की राय सभा सदस्यता गत जुलाई माह में समाप्त हो गई है जबकि वीर सिंह और गाँधी आजाद इस समय राय सभा सदस्य हैं। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह और उपाध्यक्ष मुख्तार अब्बास नकवी का भी राय सभा का कार्यकाल समाप्त होने वाला है। कांग्रस के अखिलेश दास ने बसपा में शामिल होने के कारण गत जून माह में राय सभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। श्री दास लखनऊ से लोकसभा सीट का चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं।