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सड़े आलू का मुआवजा नहीं मिला, सड़क जाम

लाखों का आलू सड़ाने और मुआवजा देने में आनाकानी करने के विरोध में शुक्रवार को किसानों ने दानापुर गांधी मैदान मार्ग जाम कर दिया। और शीतगृह मालिक के खिलाफ जमकर नारबाजी की। बजरंगबली कोल्ड स्टोर नासरीगंज...

 सड़े आलू का मुआवजा नहीं मिला, सड़क जाम
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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लाखों का आलू सड़ाने और मुआवजा देने में आनाकानी करने के विरोध में शुक्रवार को किसानों ने दानापुर गांधी मैदान मार्ग जाम कर दिया। और शीतगृह मालिक के खिलाफ जमकर नारबाजी की। बजरंगबली कोल्ड स्टोर नासरीगंज के सामने किसान मुख्यमार्ग पर बैठ गए। आक्रोशित सैकड़ों किसानों ने बताया कि शीतगृह के मालिक व कर्मचारी की लापरवाही से किसानों के लाखों रुपये के आलू सड़ गए।ड्ढr ड्ढr शीतगृह प्रबंधक प्रमोद कुमार सिन्हा ने सभी किसानों को 17 से 27 अक्टूबर के सड़े आलू का भुगतान करने का एक पत्र निर्गत किया था। आज जब किसान शीतगृह आये तो प्रबंधक लापता था। उसके बाद जानकारी दी गई कि जब तक इंश्योरंस का रुपया नहीं मिलेगा भुगतान नहीं होगा। उक्त शब्द को सुनते ही किसान आक्रोशित हो गए और विरोध में सड़क जाम कर दिया। किसानों के गुस्से के आगे यातायात पूरी तरह ठप हो गया। दो पहिया वाहनों को भी जाने की इजाजत नहीं थी। सड़क जाम से सड़क के दोनों ओर गाड़ियों की लंबी कतारं लग गईं जिनमें स्कूल बस, सवारी गाड़ी वगैरह फंस गए। किसान जिलाधिकारी को बुलाने की मांग कर रहे थे। जाम स्थल पर एसडीओ सुनील कुमार, थानेदार दिलीप कुमार, सह थानाध्यक्ष चेतनानंद झा दलबल के साथ पहुंच कर किसानों को समझाने में लगे रहे। लेकिन किसान अपनी मांग पूरी करने पर अड़े थे।ड्ढr ड्ढr दोपहर एक बजे से सड़क पर धरना दिये हुए थे। इधर शीतगृह के डिप्टी डायरक्टर अवधेश सिंह ने बताया कि सड़े माल का बीमा मिलने के बाद ही किसानों को क्षतिपूर्ति दी जायेगी। बीमा कंपनी जांच-पड़ताल में जुटी है। किसानों ने दबाब में प्रबंधक से 17-27 अक्टूबर तक सड़े आलू का मुआवजा देने की बात कागज पर लिखवा लिया था। हो गेलऊ राजनीति न मिलतौ रुपयाड्ढr दानापुर (हि.प्र.)। सड़े आलू का मुआवजा लेने शीतगृह आये किसानों को निराशा ही हाथ लगी। कोसों दूर पैदल चलकर दूरदराज दियारा क्षेत्र से आए किसान अभी अपने माथे की पसीना पोछ रहे थे और छाव में बैठे ही थे कि शीतगृह के दो कर्मचारी अपने समर्थक थानाध्यक्ष और तीन चार किसान आनन-फानन में एक कमर में बंद हो गए। जब मीडियाकर्मियों व अन्य किसानों को पता चला तो सभी बंद कमर में होने वाली बातचीत की जानकारी के लिए परशान हो गए। लेकिन किसी को भी कमर के आसपास फटकने तक नहीं दिया गया जिससे किसानों का गुस्सा सातवें आसपान पर चढ़ गया। एक घंटे बाद दरवाजा खुली तो साथ गए किसान सुरन्द्र राय, सत्या सिंह ने बताया कि बीमा मिलने के बाद भुगतान हो गया। उक्त बाद सुनते ही आक्रोशित किसान सड़क पर उतर गए तो कुछ ने कह डाला हो गेलऊ राजनीति न मिलतौ रुपया, चल घर।

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