नियमों के खिलाफ विधि सचिव को सेवा विस्तार!
विधि मंत्रालय विधि के शासन यानी रूल आफ लॉ की बात करता है लेकिन उसी मंत्रालय में रूल की धजियां उड़ाई जा रही हैं। सरकार ने 31 अक्तूबर को रिटायर हो रहे विधि सचिव टीके विश्वनाथन को एक साल के अनुबंध पर...
विधि मंत्रालय विधि के शासन यानी रूल आफ लॉ की बात करता है लेकिन उसी मंत्रालय में रूल की धजियां उड़ाई जा रही हैं। सरकार ने 31 अक्तूबर को रिटायर हो रहे विधि सचिव टीके विश्वनाथन को एक साल के अनुबंध पर नियुक्त कर लिया है। वह 1 नवंबर से उसी पद, उसी वेतनमान और पूर्व सुविधाओं के साथ पद पर बने रहेंगे। विधि मंत्रालय में विश्वनाथन की पुन: नियुक्ित से आईएलएस अधिकारियों में गंभीर रोष व्याप्त है। विश्वनाथन सिर्फ विधि सचिव के पद पर ही नहीं रहेंगे बल्कि वह विधि मंत्रायल के महत्वूपर्ण अंग विधायी विभाग के सचिव का काम भी देखेंगे। यानी एक नहीं दो- दो पोस्टें विश्वनाथन के कारण भर नहीं पाएंगी। सूत्रों के अनुसार 31 अगस्त को विधायी विभाग के सचिव केडी सिंह के रिटायर होने के पूर्व 25 अगस्त को सचिव के लिए सर्च कमेटी बनी थी। लेकिन कमेटी में कोई कार्यवाही नहीं हुई और विश्वनाथन को विधायी विभाग का दोहरा चार्ज दे दिया गया। केंद्रीय कर्मचारियों पर लागू फंडामेंटल रूल्स- 56 (डी ) के तहत 60 वर्ष की आयु ग्रहण करने के बाद अधिकारी उस पद पर नही रह सकता। न तो उसे सेवा विस्तार दिया जा सकता है और न ही पुन: नियुक्ित पर रखा जा सकता है। यह छूट रक्षा सचिव और आईबी के निदेशक को ही प्राप्त है। मंत्रालय ने कानून को बाईपास करने की कोशिश करते हुए ‘अनुबंध’ पर विश्नाथन को रख लिया। लेकिन वह यह भूल गया कि अनुबंध का प्रभाव सेवा विस्तार ही है। यानी पोस्ट तो खाली हुई ही नहीं। व्यक्ित वही है, पोस्ट वही है और वेतन भी वही है। वहीं नियमों के विरुद्ध कि या गया अनुबंध भी व्यर्थ है।