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चंदा मामा दूर नहीं

बच्चों को बहलाने के लिए चंदा मामा की कविता-कहानियां सुनाई जाती रही हैं और अपनी प्रेमिका को रिझाने के लिए प्रेमी चांद की तुलना उसके मुखड़े से करते रहे हैं। विज्ञान और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में तेजी से...

 चंदा मामा दूर नहीं
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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बच्चों को बहलाने के लिए चंदा मामा की कविता-कहानियां सुनाई जाती रही हैं और अपनी प्रेमिका को रिझाने के लिए प्रेमी चांद की तुलना उसके मुखड़े से करते रहे हैं। विज्ञान और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में तेजी से प्रगति के साथ अंतरिक्ष लोक की ये काल्पनिक बातें अब अबूझ नहीं रहेंगी। भारत ने एक ऐतिहासिक कदम उठाकर चांद पर भेजने के लिए अपने चंद्रयान-1 पीएसएलवी-सी 11 का सफल प्रक्षेपण कर महत्वपूर्ण उपलब्धि पाई है। इसका श्रेय हमार अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन- इसरो को जाता है, जिस पर समस्त देश को नाज है। चांद पर चंद्रयान के उतरने के साथ भारत उन पांच देशों (अमेरिका, रूस, चीन, जापान और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी) के एलिट क्लब में शामिल हो जाएगा, जिन्होंने अब तक यह कामयाबी पाई। मीन-मेख निकालने के आदी कुछ टिप्पणीकार यह सवाल खड़ा कर सकते हैं कि जिस देश की आबादी का एक बहुत बड़ा हिस्सा घोर गरीबी में जीने को विवश हो, उसे इतने खर्चीले अभियान पर करोड़ों रु. जाया करने की क्या जरूरत है? इस तरह के प्रतिगामी दृष्टिकोण से चहुंमुखी विकास की प्रक्रिया ही अवरुद्ध होती है। यहां यह जिक्र प्रासंगिक होगा कि दुनिया में सबसे कम लागत पर इस तरह का अभियान छेड़ने वाला भारत पहला देश है। पिछले कुछ सालों में अपनी शानदार आर्थिक प्रगति के बूते भारत में नया आत्मविश्वास जागा है और अगले कुछ सालों में दुनिया की एक आर्थिक महाशक्ित बनने की ओर अग्रसर है। इसके लिए जरूरी है कि हम चहुंमुखी क्षेत्रों में अनुसंधान और विकास पर लगातार बल दें। चंद्रयान मिशन इसी ठोस प्रयास का प्रतिनिधित्व करता है। यह कार्यक्रम न सिर्फ हमार वैज्ञानिकों के आत्मविश्वास का परिचायक है, बल्कि पृथ्वी से अलग हटकर ब्रह्मांड के अन्य ग्रह-नक्षत्रों के बार में ज्ञान-ािज्ञासा का प्रतीक भी। चंद्रयान-1 चांद की सतह की समग्र मैपिंग करगा, जो पहले किसी भी देश ने नहीं की है। इससे प्राप्त आंकड़ों का विश्लेषण किया जाएगा, जो उस भावी चंद्रयान-2 के अनुसंधान का आधार बनेगा, जिसकी मंजूरी भारत सरकार दे चुकी है। चांद पर खनिज, पानी और हीलियम की मौजूदगी के बार में अनुमान लगाए जाते रहे हैं, जिनके बार में अनुसंधान हमें कई फायदे दिला सकता है। हीलियम स्वच्छ ऊरा का स्रेत है, जिसकी हमार परमाणु रिएक्टरों में भारी उपयोगिता है। इस अभियान से देश में ग्रह-नक्षत्रों के बार में वैज्ञानिक शोध का रुझान बढ़ेगा और प्रौद्योगिकी विकास को बल मिलेगा। चंद्रयान के चांद पर उतरने और उससे प्राप्त नतीजों का देश को बेसब्री से इंतजार रहेगा।

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