देश में निजी क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक आईसीआईसीआई बैंक ने मंगलवार को कहा है कि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के नए नियमों के बारे में उसे सरकार की तरफ से स्पष्टीकरण की प्रतीक्षा है। एफडीआई के नए नियमों में प्रावधान है कि किसी इकाई में 50 प्रतिशत से अधिक विदेशी इक्िवटी निवेश होने की स्थिति में उसे विदेशी कंपनी माना जाएगा। आईसीआईसीआई बैंक की संयुक्त प्रबंध निदेशक चंदा कोचर ने यहां फिक्की में एक समारोह के बाद संवाददाताओं के साथ बातचीत में कहा कि बैंक के स्वामित्व स्वरूप में कहीं कोई बदलाव नहीं हुआ है, पिछले कई सालों से यह एक जैसा ही है। हालांकि इस मुद्दे पर सरकार से स्पष्टीकरण मांगा गया है उसकी प्रतीक्षा है। नए एफडीआई दिशानिर्देशों के मुताबिक किसी संस्थान में एफडीआई गणना में प्रवासी भारतीयों, अमेरिकी और ग्लोबल डिपॉजिटरी रिसीट, विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांड और परिवर्तनीय वरीयता वाले शेयर सभी को शामिल किया जाएगा। सरकार के प्रेस नोट नंबर दो में कहा गया है कि ऐसी कंपनियां जिनमें भारतीयों के पास 50 प्रतिशत शेयरहोल्डिंग है और उसके ज्यादा निदेशक भारतीय हैं तो ऐसी कंपनियां एफडीआई संबंधी प्रतिबंधों और क्षेत्रीय सीमा मानने के लिए बाध्य नहीं हैं। प्रेसनोट नंबर तीन में कहा गया है कि भारतीय कंपनी का प्रबंधन किसी विदेशी कंपनी अथवा व्यक्ित के हाथ में हस्तांतरित करने पर सरकार से अनुमति लेनी होगी। इसी प्रकार प्रेसनोट नंबर चार में कंपनियों को चार श्रेणियों में बांटा गया है। ये श्रेणियां उनके कामकाज, निवेश और संचालन अथवा दोंनों के आधार पर तय की गई हैं। रिजर्व बैंक ने भी एफडीआई के परिवर्तित नियमों पर चिंता जाहिर करते हुए कहा था कि नए नियमों से देश के सात निजी क्षेत्र के बैंकों के स्वामित्व पर असर पड़ सकता है। ये बैंक हैं आईसीआईसीआई बैंक, आईएनजी वैश्य बैंक, यस बैंक, एचडीएफसी बैंक, डेवलपमेंट क्रेडिट बैंक, इंड्सइंड बैंक और फेडरल बैंक। बहरहाल, एफडीआई के नए नियम अधिसूचित होने के बाद ही लागू होंगे। फिलहाल इन्हें विभिन्न क्षेत्रों से उठी आपत्तियों को देखते हुए निलंबित रखा गया है।
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