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कृत्रिम प्रजनन से बढ़ाई जाएगी गिद्धों की आबादी

गिद्धों की घटती आबादी से वन एवं पर्यावरण मंत्रालय चिंतित है। मंत्रालय गिद्धों की आबादी में इजाफे के लिए नए उपाय तलाश कर रहा है। इसके तहत देश के चार बड़े चिड़ियाघरों में गिद्ध प्रजनन केंद्रों की...

 कृत्रिम प्रजनन से बढ़ाई जाएगी गिद्धों की आबादी
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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गिद्धों की घटती आबादी से वन एवं पर्यावरण मंत्रालय चिंतित है। मंत्रालय गिद्धों की आबादी में इजाफे के लिए नए उपाय तलाश कर रहा है। इसके तहत देश के चार बड़े चिड़ियाघरों में गिद्ध प्रजनन केंद्रों की स्थापना को मंजूरी प्रदान की गई है। मंत्रालय ने गिद्धों की आबादी में कमी के लिए जिम्मेदार मानी जा रही पशुओं की दवा ‘डाइकोलफेनाक’ पर भी प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है। मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी आरबी लाल के अनुसार गिद्धों की आबादी में इजाफे के लिए एक राष्ट्रीय गिद्ध कार्य योजना तैयार की गई है। अभी तक देश में पिंजौर (हरियाणा) राजाभटखावा (पश्चिम बंगाल) तथा रानी (असम) में ही गिद्ध प्रजनन केंद्र कार्य कर रहे हैं। इनकी क्षमता को बढ़ाने के साथ ही चार और गिद्ध प्रजनन केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं। केंद्रों की स्थापना केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण के माध्यम से हैदराबाद, भुवनेश्वर, जूनागढ़ तथा भोपाल स्थित चिड़ियाघरों में की जाएगी। केंद्रों पर गिद्धों की संख्या बढ़ाने के लिए कृत्रिम प्रजनन को बढ़ावा दिया जाएगा। लाल के अनुसार गिद्धों की मौत के हालांकि अनेक पर्यावरणीक कारण हो सकते हैं। लेकिन अभी तक की पड़ताल में यह बात सामने आई है कि पशुओं में बतौर पेनकिलर उपचार के लिए दी जाने वाली दवा डाइकोलफेनाक भी इसके लिए प्रमुख रूप से जिम्मेदार है। चूंकि मृत पशुओं को गिद्ध चट कर जाते हैं लेकिन जिन मृत पशुओं को इस दवा के अंश होते हैं, उनके मांस को खाकर गिद्धों की मृत्यु हो जाती है।

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