गुजरात दंगों में विहिप-बजरंग दल पर थी शक की सूई
सुप्रीम कोर्ट द्वारा गुजरात दंगों में नरेंद्र मोदी और उनके मंत्रिमंडलीय सहयोगियों की भागीदारी की जांच करने से सात साल पहले राज्य पुलिस ने इन दंगों में भाजपा और विहिप-बजरंग दल की भूमिका पर संदेह जताते...
सुप्रीम कोर्ट द्वारा गुजरात दंगों में नरेंद्र मोदी और उनके मंत्रिमंडलीय सहयोगियों की भागीदारी की जांच करने से सात साल पहले राज्य पुलिस ने इन दंगों में भाजपा और विहिप-बजरंग दल की भूमिका पर संदेह जताते हुए सरकार को आगाह किया था। इस पत्र में जो कुछ लिखा है उसकी जानकारी हिन्दुस्तान के पास है। यह पत्र अब सरकारी दस्तावेज का हिस्सा है। और जहां राज्य सरकार ने इसपर कोई कार्रवाई नहीं की वहीं विशेष जांच दल ने भी इस पत्र पर कोई संज्ञान नहीं लिया। 1अप्रैल, 2002 को लिखे गए पत्र में अहमदाबाद के तात्कालीन पुलिस आयुक्त पी सी पांडे ने पुलिस महानिदेशक के चक्रवर्ती को जानकारी दी थी कि भाजपा विधायक भारत बरोट (तब नागरिक आपूर्ति राज्य मंत्री) ने बजरंग दल के कार्यकर्ताओं के सहयोग से दिल्ली दरवाजा इलाके में दंगे फैलाने में मदद दी। इसी तरह पांडे ने 22 अप्रैल को भी एक पत्र लिखा। अतिरिक्त मुख्य सचिव अशोक नारायण को लिखा गया पत्र कहता है, ‘वैसे तो हालात सामान्य हो रहे हैं, मगर सरकार को समर्थन देने वाले समूह ऐसी गतिविधियों में लिप्त हैं, जो आगे चलकर आग में घी का काम कर सकती हैं।’ पहले मामले में पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया और जल्द ही उन्हें जमानत मिल गई। बरोट (58) के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। जहां तक दूसर पत्र का सवाल है उसे सरकार ने कूड़े में फेंक दिया। पांडे, ने ये दोनों पत्र स्पेशल ब्रांच से मिली जानकारी के आधार पर लिखे थे।