अस्ताचलगामी सूर्य को अघ्र्य आज
ांचहीं बांस के बहंगिया, बहंगी लचकऽतऽ जाये.., चार पहर राति जलथल सेवली, सेवली चरण तोहार हे छठी मइया दर्शन देदऽ अपान.., जोड़े कलसूपा लेले व्रती पुकारऽलन..। लोकआस्था के चार दिवसीय महापर्व छठ के गीत...
ांचहीं बांस के बहंगिया, बहंगी लचकऽतऽ जाये.., चार पहर राति जलथल सेवली, सेवली चरण तोहार हे छठी मइया दर्शन देदऽ अपान.., जोड़े कलसूपा लेले व्रती पुकारऽलन..। लोकआस्था के चार दिवसीय महापर्व छठ के गीत राजधानी की फिजां में घुलमिल गये हैं। गंगा तक की ओर जाने वाली तमाम सड़के भव्य पंडालों, तोरणद्वारों व रालेक्स की आकर्षक साजो-सज्जा से दिपदिप कर रही है। ऊपर से बिजली की सजावट ने रौनक में चार चांद लगा दिया है। सोमवार की सुबह से ही राजधानी भगवान भाष्कर की भक्ित में सराबोर हो गयी। गंगा घाटों की ओर जाने वाली तमाम सड़कें छठव्रतियों से पटी थी। गंगा घाट दीप, धूप व अगरबती की खुशबू से सुवासित हो उठे। व्रतियों ने गंगा में स्थान करने के बाद शाम में बड़ी श्रद्धा से खरना का प्रसाद बनाया। पहले सूर्यदेव को प्रसाद का भोग लगाया फिर खुद ग्रहण किया। इसके साथ ही व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो गया। मंगलवार की शाम डूबते और बुधवार की सुबह उगते सूर्य को अघ्र्य प्रदान करने के बाद घाट ही इनका व्रत टूटेगा। चारदिवसीय सूर्योपासना के पर्व के दूसर दिन सोमवार को खरना करने के लिए आस्था का जनसैलाब गंगा घाटों पर उमड़ा। पूर दिन छठव्रतियों की टोली घाटों पर आ-ाा रही थी। लोग गंगा में डुबकी लगाने के बाद जाते वक्त पीतल के कलशों, टिन व डिब्बों आदि में जल भरकर अपने साथ ले गये। नाविकों की पौ बारह रही। उन्होंने किराए के रूप में 15 से 20 रुपए वसूल किये। व्रतियों ने स्नान करने के बाद श्रद्धा और भक्ित के माहौल में शाम को रोटी और गुड़ की खीर बनाकर सूर्य डूबने के बाद खरना किया। गंगा की धारा कछार से दूर चले जाने के कारण घर में खरना करने वाले छठव्रतियों की संख्या अधिक रही। व्रती मंगलवार को अस्ताचलगामी सूर्य को गंगा के विभिन्न तटों, तालाबों व घरों की छतों पर अघ्र्य देंगे।