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ओबामा से उम्मीद

अगर परमाणु अप्रसार, कश्मीर और आउटसोर्सिग जसे कुछ मुद्दों पर स्वाभाविक संदेहों को छोड़ दिया जाए तो अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार बराक ओबामा के विजय की खुशी में शेष...

 ओबामा से उम्मीद
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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अगर परमाणु अप्रसार, कश्मीर और आउटसोर्सिग जसे कुछ मुद्दों पर स्वाभाविक संदेहों को छोड़ दिया जाए तो अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार बराक ओबामा के विजय की खुशी में शेष दुनिया की तरह भारत भी पूर जोश से शामिल है। बराक ओबामा ने पिछले डेमोक्रेटों की तरह भारत को लेकर एसा कुछ भी नकारात्मक नहीं कहा है, जिससे हम इन संदेहों और आशंकाओं को बढ़ाएं। बल्कि उन्होंने भारत-अमेरिका परमाणु करार का लगभग उसी तरह समर्थन किया है, जिस तरह जार्ज बुश ने किया। इस बात की आशंका लगभग नहीं है कि भारत और अमेरिका के अच्छे रिश्ते जितने आगे बढ़ गए हैं उस पर वे किसी तरह का ब्रेक लगाएंगे, रिवर्स में डालने का तो सवाल ही नहीं। अगर शिकागो में दिए गए अपने भाषण के अनुरूप उन्हें अपने सहयोगी देशों की मदद से दुनिया में अमेरिकी नेतृत्व की घटती साख को फिर से स्थापित करना है तो वे भारत-अमेरिका संबंधों को नई ऊंचाई प्रदान करंगे। अमेरिकी राजनीति के आकाश में ओबामा के उदय से यूरोप, अफ्रीका और इस्लामी देश सभी खुश हैं। इससे भारत की उन इस्लामी देशों से मैत्री गाढ़ी हो सकती है, जो बुश के जमाने में भारत-अमेरिका की बढ़ती निकटता से बिदक रहे थे। यह भारत समेत इस इलाके के लिए शुभ संभावना है, जिससे इराक, अफगानिस्तान के मसले को हल करने और ईरान-अमेरिका के बीच मध्यस्थता करने में भारत की जिम्मेदार भूमिका बढ़ सकती है। अगर एशिया में चीन की बढ़ती ताकत को रोकना है तो आर्थिक और सामरिक रूप से मजबूत भारत को अमेरिका की जरूरत है। अमेरिकी विश्वास के चलते भारत 60 सालों से अपने प्रतिद्वंद्वी रहे पाकिस्तान को भी आर्थिक संकट से उबारने जा रहा है। एसे में भारत और पाकिस्तान के रिश्ते भी नई करवट ले सकते हैं। भारत के प्रति ओबामा की भावनाएं हिंदी और मलयालम में जारी किए गए उनके घोषणापत्र में खुलकर दिखाई पड़ती हैं, जिससे उत्साहित होकर दो भारतीय लड़कियों ने ओहियो जसे रिपब्लिकनों के गढ़ में छुट्टी लेकर उनका प्रचार किया। ओबामा की जीत वैश्विक रंगभेद के खिलाफ महात्मा गांधी की ही नहीं, भीमराव अंबेडकर की भी जीत है। उनकी जीत से भारत की दलित राजनीति को नई ऊरा भी मिलेगी और समन्वय व सद्भाव की नई सीख भी। उम्मीद है, ओबामा के आगमन से उभरती दुनिया की नई तस्वीर में भारत भी भरपूर रंग भरगा।ं

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