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एक को छोड़कर सभी पुनर्विचार याचिकाएं खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने 2जी मामले में 122 लाइसेंस रद्द करने के उसके दो फरवरी के फैसले पर पुनर्विचार के लिए दायर केन्द्र सरकार की एक याचिका को छोड़कर अन्य सभी पुनर्विचार याचिकाएं बुधवार को खारिज कर दी। खारिज...

एक को छोड़कर सभी पुनर्विचार याचिकाएं खारिज
एजेंसीWed, 04 Apr 2012 11:29 PM
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सुप्रीम कोर्ट ने 2जी मामले में 122 लाइसेंस रद्द करने के उसके दो फरवरी के फैसले पर पुनर्विचार के लिए दायर केन्द्र सरकार की एक याचिका को छोड़कर अन्य सभी पुनर्विचार याचिकाएं बुधवार को खारिज कर दी। खारिज की गई याचिकाओं में पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा और सात दूरसंचार कंपनियों की पुनर्विचार याचिकाएं भी शामिल हैं।

शीर्ष अदालत ने केन्द्र सरकार की एक पुनर्विचार याचिका पर 13 अप्रैल को सुनवाई का फैसला किया है। केन्द्र ने उच्चतम न्यायालय से उसके 2 फरवरी के फैसले पर पुनर्विचार का आग्रह किया है। फैसले में न्यायालय ने केन्द्र की पहले आओ पहले पाओ नीति को असंवैधानिक करार दिया था।

हालांकि, न्यायालय ने केन्द्र सरकार के उस आग्रह को ठुकरा दिया जिसमें उसने न्यायालय के शिकायत दर्ज होने से पहले ही लोक सेवक के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति देने के फैसले पर भी पुनर्विचार का आग्रह किया था।

न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी और केएस राधाकृष्णन की पीठ ने राजा की तरफ से दायर उस याचिका को भी खारिज कर दिया जिसमें पूर्व दूरसंचार मंत्री ने आशंका जताई थी कि 2जी मामले में लाइसेंस रद्द करने के न्यायालय के निर्णय से निचली अदालत में मामले में उसके (राजा) के खिलाफ पूर्वाग्रह बनेगा।

उच्चतम न्यायालय ने सात दूरसंचार कंपनियों द्वारा दायर पुनर्विचार याचिकाओं को भी खारिज कर दिया। न्यायालय ने वीडियाकोन टेलिक्म्युनिकेशंस लि, एस टेल लिमिटेड, सिस्तेमा श्याम टेलि सर्विसेज लिमिटेड, टाटा टेलिसर्विसेज लिमिटेड, यूनिटेक वायरलेस (तमिलनाडु) प्रा लि, एतिसलात डीबी टेलिकॉम प्रा लिमिटेड और आइडिया सेल्यूलर लिमिटेड शामिल हैं।

उच्चतम न्यायालय की पीठ ने सात दूरसंचार कंपनियों द्वारा दायर पुनर्विचार याचिका पर अलग से आदेश देते हुए कहा कि हमने पुनर्विचार याचिका और मामले के रिकार्ड पर सावधानीपूर्वक गौर किया और हम इस बात से संतुष्ट हैं कि जिस फैसले पर पुनर्विचार का आग्रह किया गया है, उसमें ऐसी कोई गलती नहीं है जिससे इसके पुनर्विचार की जरूरत महसूस होती हो।

न्यायालय ने कहा कि उसके उस फैसले में भी कोई त्रुटि नहीं है जिसमें प्रधानमंत्री कार्यालय की भी अनुमति दिए जाने के मामले पर खिंचाई की गई थी। पीठ ने कहा कि उसके निर्णय में किसी तरह की गलती नहीं दिखाई देती है और इस संबंध में दायर पुनर्विचार याचिका को देखते हुए इसमें फिर से सुनवाई अथवा पुनर्विचार नहीं किया जा सकता है।

पीठ ने कहा कि हमने पुनर्विचार याचिका में दी गई दलीलों और कथन को ध्यानपूर्वक देखा, जिस आधार पर याचिकाकर्ता ने पुनर्विचार का आग्रह किया है उस फैसले में हमें कोई गलती नहीं दिखती जिससे उस पर पुनर्विचार किया जाए। पीठ ने कहा कि पुनर्विचार की आड़ में याचिकाकर्ता न्यायालय द्वारा तय किए गए मुद्दे की फिर से सुनवाई और पुनर्विचार की मांग नहीं कर सकता, इसलिए पुनर्विचार याचिका खारिज की जाती है।

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