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बलमुचू की याचिका पर फैसला सुरक्षित

झारखंड हाइकोर्ट ने मंगलवार को राज्यसभा चुनाव रद्द करने की सिफारिश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई पश्चात खंडपीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया। कांग्रेस पार्टी के राज्यसभा उम्मीदवार प्रदीप बलमुचू ने...

बलमुचू की याचिका पर फैसला सुरक्षित
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 03 Apr 2012 10:33 PM
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झारखंड हाइकोर्ट ने मंगलवार को राज्यसभा चुनाव रद्द करने की सिफारिश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई पश्चात खंडपीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया। कांग्रेस पार्टी के राज्यसभा उम्मीदवार प्रदीप बलमुचू ने हाइकोर्ट में याचिका दाखिल कर चुनाव आयोग के उस फैसले को चुनौती दी जिसके तहत राज्य में 30 मार्च को कराए गए चुनाव रद्द करने की अनुशंसा की गई है।

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति पीसी टाटीया और न्यायमूर्ति अपरेश कुमार सिंह की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सुमित गाड़ोदिया ने अदालत में कहा कि संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत चुनाव आयोग को चुनाव संपन्न कराने का अधिकार प्रदान किया गया है। यदि चुनाव प्रक्रिया में किसी तरीके का व्यवधान होता है तो उस भाग को रद्द कर पुन: चुनाव कराने का प्रावधान है।

राज्यसभा के दो सीटों पर चुनाव होना था। इसके लिए 12 मार्च को अधिसूचना जारी की गई थी। पांच उम्मीदवार मैदान में थे। तीन राजनीतिक पार्टियों के और दो निर्दलीय। तीस मार्च को मतदान कराया गया।

चुनाव आयोग ने झारखंड राज्यसभा चुनाव में हॉर्स ट्रेडिंग और तीन मतदाताओं कांग्रेस के केएन त्रिपाठी, राजद के सुरेश पासवान और झामुमो के विष्णु भैया द्वारा जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए अपना बैलेट पेपर अपनी पार्टी के अधिकृत प्रतिनिधि के अलावा दूसरे लोगों को दिखाने को आधार बनाते हुए चुनाव प्रक्रिया रद्द करने की अनुशंसा कर दी थी।

चुनाव से पूर्व पकड़ा गया 2.15 करोड़
चुनाव के दिन अहले सुबह जमशेदपुर से रांची आ रही एक इनोवा गाड़ी से दो करोड़ 15 लाख रुपए आयकर अधिकारियों ने जब्त किये थे। जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार तीनों ही वोटरों को वोट रद्द किया जाना चाहिए था। जो नहीं किया गया।

दूसरे पक्ष के अनुसार चुनाव आयोग का यह कदम अर्ध न्यायिक है। जिसमें बगैर सभी पक्षकारों को सुने चुनाव रद्द करने की अनुशंसा कर दी गई। प्रार्थी ने मतदान के बाद मतगणना नहीं कराने के विरोध में राष्ट्रपति और चुनाव आयोग के समक्ष अर्जी दी थी। अदालत ने मामले को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया।

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