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पीपली दुष्कर्म कांडः पुलिस ने किया आरोपपत्र दाखिल

पीपली गांव में 19 वर्षीय दलित लड़की के साथ हुए कथित सामूहिक दुष्कर्म के मामले की जांच की रही पुलिस ने शनिवार को मुख्य आरोपी प्रशांत प्रधान और उसके सहयोगी सुकांत प्रधान के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया,...

पीपली दुष्कर्म कांडः पुलिस ने किया आरोपपत्र दाखिल
एजेंसीSun, 11 Mar 2012 12:42 AM
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पीपली गांव में 19 वर्षीय दलित लड़की के साथ हुए कथित सामूहिक दुष्कर्म के मामले की जांच की रही पुलिस ने शनिवार को मुख्य आरोपी प्रशांत प्रधान और उसके सहयोगी सुकांत प्रधान के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया, लेकिन उनका कहना है कि दुष्कर्म के आरोप की पुष्टि नहीं हो सकी।

पीपली मजिस्ट्रेट अदालत में आरोपपत्र दाखिल करते हुए पुलिस की अपराध शाखा ने कहा कि कोमा में होने के कारण पीड़िता कोई बयान नहीं दे सकी है इसलिए आरोप की पुष्टि नहीं की जा सकी। अपराध शाखा ने अपने आरोपपत्र में कहा है कि उसने गवाहों, विशेषज्ञों एवं डॉक्टरों सहित काफी संख्या में लोगों से पूछताछ की है, लेकिन पूछताछ से ऐसा कोई साक्ष्य नहीं मिला जो यह प्रमाणित करे कि महिला के साथ दुष्कर्म हुआ।

अपराध शाखा की ओर से जारी विज्ञप्ति के मुताबिक वह मामले को खुला रखेगी और पीड़िता जब बयान देने के लायक हो जाएगी तो उसका बयान लिया जाएगा। इसके अलावा स्थानीय पुलिस और चिकित्सकों की आपराधिक जिम्मेदारी की भी जांच की जाएगी जिन्होंने कथित तौर पर पीड़िता का उचित इलाज नहीं किया और आरोपियों को बचाने की कोशिश की।

हालांकि, पुलिस ने महिला से सामूहिक दुष्कर्म किए जाने से इंकार किया। पुलिस ने बताया कि मुख्य आरोपी प्रशांत प्रधान के पीड़िता के साथ नजदीकी सम्बंध थे। प्रधान को बाद में पता चला कि पीड़िता के सम्बंध किसी दूसरे व्यक्ति से हो गए हैं और वह उससे दूर रहना चाहती है।

कुछ महीने बाद प्रशांत ने अकेले पाकर पीड़िता पर हमला किया। प्रशांत ने पीड़िता को उसके दुपट्टे से गला दबाकर मारने का प्रयास किया और यह सोचकर वहां से भाग गया कि पीड़िता की मौत हो चुकी है। मामले में दूसरे आरोपी प्रशांत के भाई सुकंत प्रधान ने पीड़िता के परिवार को धमकी दी थी। 

वहीं, पीड़िता के परिवार का कहना है कि अजरुनगोदा गांव के समीप पिछले साल 28 नवंबर को कुछ लोगों ने उनकी 19 वर्षीया लड़की के साथ कथित रूप से सामूहिक दुष्कर्म किया।

पीड़िता का इलाज उचित तरीके से न किए जाने पर मीडिया ने मामले को तूल दिया। बाद में इस घटना ने राजनीतिक रंग पकड़ा और कृषि मंत्री प्रदीप महारथी को 19 जनवरी को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। पीड़िता के परिवार ने महारथी पर हमलावरों को संरक्षण देने का आरोप लगाया था।

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