खतरनाक चुनौतियों का सामना कर रहा है एशिया: PM
एशिया और अफ्रीका में दुनिया के गरीबों की तीन-चौथाई आबादी होने की बात कहते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सोमवार को कहा कि सतत विकास की बुनियादी जरूरत ग्रामीण पुनर्निर्माण व गरीबी उन्मूलन...
एशिया और अफ्रीका में दुनिया के गरीबों की तीन-चौथाई आबादी होने की बात कहते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सोमवार को कहा कि सतत विकास की बुनियादी जरूरत ग्रामीण पुनर्निर्माण व गरीबी उन्मूलन है।
एफ्रो-एशियन रूरल डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन के स्वर्ण जयंती समारोह में उद्घाटन भाषण देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों महाद्वीपों के लोग जिन चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, वे खतरनाक हैं।
उन्होंने कहा कि बीती शताब्दी के ज्यादातर हिस्से में अफ्रीका व एशिया के लोगों ने खुद को औपनिवेशिक वर्चस्व से स्वतंत्र कराने के लिए कंधे से कंधे मिलाकर लड़ाई की है। वर्तमान में हम जिन चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, वे अलग हैं लेकिन उतनी ही खतरनाक हैं। अंतर्राष्ट्रीय शांति के लिए खतरा पैदा हो गया है। वैश्विकरण की प्रक्रिया और राष्ट्रों के बीच बढ़ती परस्पर निर्भरता हमारे सतत आर्थिक विकास के लिए चुनौतियां पेश कर रही है।
सिंह ने कहा कि दोनों महाद्वीपों के देशों में लाखों लोगों को पोषक आहार, स्वच्छ पेयजल, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा व सस्ती स्वास्थ्य सेवाओं की जरूरत है। प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों महाद्वीपों में एफ्रो-एशियन रूरल डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन की भूख, रोगों और भेदभाव से संयुक्त रूप से लड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
उन्होंने कहा कि दुनिया के गरीबों का तीन-चौथाई हिस्सा एशिया व अफ्रीका में रहता है। सतत विकास व समावेशी विकास की हमारी योजनाओं के लिए ग्रामीण पुनर्निमाण और गरीबी उन्मूलन महत्वपूर्ण हैं।
प्रधानमंत्री सिंह ने कहा कि 21वीं सदी की साझा चुनौतियों से निपटने के लिये भारत की अफ्रीका के साथ भागीदारी के क्षेत्र में दूरदर्शी सोच है और यही वजह है कि वर्ष 2008 में भारत-अफ्रीका फोरम समिट की शुरूआत की गई।
प्रधानमंत्री ने संगठन के अफ्रीका और एशिया से पहुंचे सदस्य देशों के प्रमुखों और प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कहा आने वाले कुछ वर्षों में विशेषतौर पर कृषि विज्ञान के क्षेत्र में भारत 500 नई छात्रवृत्तियां देगा। नोबल पुरस्कार विजेता सी़वी़ रमन के नाम पर हम अफ्रीकी छात्रों को 700 विज्ञान फैलोशिप देंगे।
150 छात्रों को पहले ही यह दी जा चुकी है। इसके अलावा जल संरक्षण, पशुधन और मछलीपालन, कृषि क्षेत्र के यंत्रीकरण, फसल बाद के प्रसंस्करण और मूल्य वर्धन के क्षेत्र में अल्पकालिक प्रशिक्षण कार्यक्रम भी चला रहे हैं।
भारत-अफ्रीका के बीच संस्थागत निर्माण के क्षेत्र में सहयोग जारी है। उन्होंने कहा कि भारत अफ्रीका कृषि और ग्रामीण विकास संस्थान की स्थापना सहित विभिन्न संस्थानों के लिये हमने 10 करोड़ डॉलर की राशि रखी है। खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में भी हम उप-सहारा अफ्रीका क्षेत्र से 350 लोगों को क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण के लिये वित्तीय सहायता उपलब्ध करा रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इसके अलावा अफ्रीकी ग्रामीण क्षेत्रों में चीनी परियोजनाओं, उर्जा पारेषण तथा कृषि मशीनरी खरीद के लिये एक अरब डॉलर की ऋण सुविधा उपलब्ध कराई गई है।
ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने इस मौके पर अफ्रो एशियन ग्रामीण विकास संगठन में शिक्षा, कौशल विकास और मानव संसाधन विकास क्षेत्र के कार्यक्रमों में अगले तीन साल के लिये भारत का योगदान जारी रखने की घोषणा की।