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Hindi News ‘बचपन से थी सीखने की ललक, जीतने की चाहत’

‘बचपन से थी सीखने की ललक, जीतने की चाहत’

मैंने पहली बार जब गन हाथ में ली थी उसी दिन मुझे यह अहसास हो गया था कि मुझमें स्पेशल टेलेंट है। इसके बाद मैंने पीछे मुडकर नहीं देखा। हाारों मैडल मेर कमर की शोभा बढ़ा रहे थे। बीजिंग ओलंपिक से पहले तक...

 ‘बचपन से थी सीखने की ललक, जीतने की चाहत’
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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मैंने पहली बार जब गन हाथ में ली थी उसी दिन मुझे यह अहसास हो गया था कि मुझमें स्पेशल टेलेंट है। इसके बाद मैंने पीछे मुडकर नहीं देखा। हाारों मैडल मेर कमर की शोभा बढ़ा रहे थे। बीजिंग ओलंपिक से पहले तक फिर भी मुझे इसमें कुछ मिस लग रहा था। बीजिंग ओलंपिक के स्वर्ण विजेता अभिवन बिंद्रा ये बता ही रहे थे कि एनडीटीवी की स्पोर्ट्स एडीटर सोनाली चंद्रा ने उन्हें बीच में ही टोका। पूछा, तो क्या आज वह मैडल उस कमर में है। पूछने पर बिंद्रा ने कहा, ‘वह मैडल तो मेरी मॉम की सेफ कस्टडी में है।’ भारत के बीजिंग ओलंपिक में व्यक्ितगत स्वर्ण जीत इतिहास बनाने वाले अभिनव यंग फिक्की लेडीा ऑर्गेनाइजेशन द्वारा आयोजित समारोह में बोल रहे थे। समारोह में अभिनव ने अपने सफलता के राज भी खोले। उन्होंने कहा, ‘सकारात्मक सोच, मोटीवेशन और लक्ष्य के प्रति फोकस रहना ही मेरी सफलता का राज है।’ अभिनव कहते हैं सबसे पहले मेर कोच कर्नल ढिल्लन में मुझमें छिपे टेलेंट को परखा। मुझमें सीखने की ललक के साथ जीत की चाहत भी बचपन से ही थी। मेरी सोच हमेशा ऊंची थी। वैसे भी शूटिंग मानसिक यातना देने वाला खेल है। बीजिंग ओलंपिक में फाइनल में तो मैं मशीन की तरह शूट कर रहा था। उस समय शूटिंग हॉल में लगभग 7 हाार दर्शक थे। इनमें से ज्यादातर की यही चाहत थी कि कोई चीनी ही चैंपियन बने। मुझे पता था कि मेरी किस्मत मेरी हाथ में हैं। वह दिन मेरा था। सबकुछ मेर अनुकूल था। इससे पहले में ओलंपिक रिकॉर्ड बनाने के बाद भी पदक नहीं जीत सका था। इसलिए मुझे पर ओलंपिक स्वर्ण जीतने का देश के साथ-साथ व्यक्ितगत प्रैशर भी था। मैं यह सुन-सुन कर परशान हो गया था कि देश में पोटेंशियल तो है लेकिन मैडल विनर नहीं हैं। जब समारोह यंग फिक्की लेडीा आर्गेनाइजेशन आयोजित कर रहा हो तो अभिनव से उनकी शादी, उनकी पसंद की लड़की आदि के बार में भी सवाल पूछे जाने स्वाभाविक थे। उनकी पसंद जानने के लिए हर कोशिश की गई। काफी कुरद-कुरद कर पूछने जाने पर उन्होंने इतना ही कहा कि वह खेलों से प्यार करने वाली और खेलों की एंजॉय करनी वाली तो होनी ही चाहिए।

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