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भी प्यार, कभी तकरार..राजनीति भी अजबे चीज है। कब कौन सा खेला दिखाये किसी को नहीं मालूम। कभी प्यार तो कभी तकरार का खेला तो हमेशा कराती है। इ खेला सूबे के दो वजीर हमेशा खेलते रहते हैं। खैर सियासत में...

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लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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भी प्यार, कभी तकरार..राजनीति भी अजबे चीज है। कब कौन सा खेला दिखाये किसी को नहीं मालूम। कभी प्यार तो कभी तकरार का खेला तो हमेशा कराती है। इ खेला सूबे के दो वजीर हमेशा खेलते रहते हैं। खैर सियासत में जंग जरूरी है। जंग जीतकर ही आगे बढ़ा जा सकता है। मंजिल एक ही है। इ तो सबको पता है। विकास वाला खेल कोई खेलना ही नहीं चाहता। सब प्यार और तकरार वाला खेला ही देखना चाहते हैं। काहे कि इ खेल में सबको चांस मिलने का चांस रहता है। विकास वाला खेल में कुछ मिलता नहीं है। अब बताइये क्रिकेट छोड़कर कोई कबड्डी खेलता है क्या। लेकिन इ खेल में प्यार हुआ तो मीटे-मीठे बोल सुनने को मिलेंगे। विकास की धारा बहेगी। तकरार हुआ तो साइलेंट या फिर किचिर-किचिर। किचिर का बेनेफिट दूसर को मिलेगा। मतलब समझे न, कुर्सी मिलेगी। लेकिन दोनों वजीर मेच्योर होते जा रहे हैं। एकदमे साइलेंट। कोई किचिर-किचिर नहीं हो रहा है। ओपोजिशन वाले भी माजरा समझ नहीं पा रहे हैं। इसका मतलब समझे न दोनों लंबी पारी खेलने की फिराक में हैं। फूंक-फूंक कर कदम रह रहे हैं। जिस ढंग से दोनों ने विभाग संभाला है, जनता-ानार्दन को भी डर लगने लगा है। पता नहीं गुस्से में कौन सा फरमान जारी कर दें। ऐसे में किसकी हिम्मत जो मोरचा खोले। आप भी मेच्योर होइये और लंबी पारी खेलिये।

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