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Hindi News ‘मार्केटिंग’ पर ध्यान देते कुछ सरकारी अफसर

‘मार्केटिंग’ पर ध्यान देते कुछ सरकारी अफसर

ाम से ज्यादा मार्केटिंग जरूरी! राज्य सरकार के कुछ अफसरों को यह बाजारवादी हथकंडा इन दिनों अधिक सुहा रहा है। शायद तभी वह अपने छोटे से छोटे निर्णयों की जानकारी भी मुख्यमंत्री सचिवालय तक पहुंचाने लगे...

 ‘मार्केटिंग’ पर ध्यान देते कुछ सरकारी अफसर
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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ाम से ज्यादा मार्केटिंग जरूरी! राज्य सरकार के कुछ अफसरों को यह बाजारवादी हथकंडा इन दिनों अधिक सुहा रहा है। शायद तभी वह अपने छोटे से छोटे निर्णयों की जानकारी भी मुख्यमंत्री सचिवालय तक पहुंचाने लगे हैं। मुख्यमंत्री के दफ्तर में बेवजह कागजों का अंबार बढ़ने से सरकार का पारा गरम है। मुख्य सचिव आर.जे.एम.पिल्लै ने तमाम विभागीय सचिवों, प्रमंडलीय आयुक्तों और जिलाधिकारियों को कड़ा पत्र लिखकर अफसरों को काम करने की हिदायत दे डाली है। श्री पिल्लै ने अपने पत्र में स्पष्ट उल्लेख किया है कि हाल के दिनों में कुछ जिलों के डीएम के अलावा विभागीय सचिवों द्वारा भी उनके यहां से जारी आदेशों की प्रतियां मुख्यमंत्री के यहां भेज दी गयीं। जबकि ऐसा करने की कोई जरूरत नहीं थी। लिहाजा ऐसा करने वाले अफसरों को अपनी यह आदत तत्काल बन्द कर देनी चाहिए। मुख्य सचिव ने तमाम अधिकारियों को जरूरत पड़ने पर भी मुख्यमंत्री सचिवालय को सीधे पत्र भेजने की बजाय ‘प्रॉपर चैनल’ से पत्राचार की हिदायत दी है। मतलब अगर कोई जिलाधिकारी किसी योजना के बार में कुछ कहना चाहते हैं तो उन्हें इस बाबत पहले संबंधित विभाग से बातचीत करनी पड़ेगी। ‘संवर्गीय’ हुआ संयुक्त कृषि निदेशक का पदड्ढr पटना (हि.ब्यू.)। सूबे के कृषि अधिकारियों के लिए एक अच्छी खबर है। अब उनकी प्रोन्नति संयुक्त कृषि निदेशक के पद पर भी हो सकती है। साथ ही कोई जूनियर अधिकारी उनसे सीनियर पोस्ट पर नहीं बैठेगा। पोस्टिंग में वरीयता की अनदेखी अब किसी के लिए आसान नहीं होगी। सरकार ने संयुक्त कृषि निदेशक के पद को ‘संवर्गीय पद’ घोषित कर दिया है। कृषि मंत्री नागमणि के स्तर पर विभाग का यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया गया। मंत्री ने यह निर्देश भी दिया है कि विभाग में अधिकारियों की पोस्टिंग वरीयता के आधार पर ही की जाय। हालांकि इस प्रस्ताव को अभी संचिका में स्वीकृति नहीं मिली है लेकिन मौखिक आदेश को संचिका में लाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। विभाग से मिली जानकारी के अनुसार संयुक्त कृषि निदेशक का पद पहले भी संवर्गीय था लेकिन राज्य सरकार ने दो वर्ष पहले इस पद को गैरसंवर्गीय घोषित कर दिया था। फलस्वरूप कृषि अधिकारी प्रोन्नत होकर उस पद तक नहीं पहुंच पा रहे थे। तब से अधिकारी संघ इसके लिए संघर्ष कर रहा था। संघ की नाराजगी इस बात को लेकर भी थी कि पोस्टिंग में वरीयता की अनदेखी की जाती है। लेकिन मंत्री ने आदेश दिया है कि अब सामान्यत: ऐसा नहीं होगा। उन्होंने कहा कि पोस्टिंग के दौरान वरीयता के साथ उनके कार्य की समीक्षा भी की जायेगी। वरीयता और योग्यता दोनो को ध्यान में रखकर पदस्थापना की जायेगी। झूठ का पुलिन्दा हैं शिवानंद : राजदड्ढr पटना (हि.ब्यू.)। राजद के राष्ट्रीय महासचिव सह प्रवक्ता श्याम रजक एव प्रांतीय महासचिव निहोरा प्रसाद यादव ने कहा कि ‘भूरा बाल साफ करो’ और ‘कुकुर’ शब्द जदयू के प्रवक्ता शिवानन्द तिवारी जैसे लोगों के दिमाग की उपज है। तिवारीजी झूठ का पुलिन्दा हैं और साजिश के तहत ये बातें छपवाते रहे हैं। जब कोईरी समाज ने नीतीश कुमार का साथ छोड़ दिया तब उन लोगों की चिन्ता बढ़ी है और ‘कुकुर’ याद आयी है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2005 में बिहार में राष्ट्रपति शासन लगाये जाने की भूल को स्वीकार कर लालू प्रसाद ने महानता का परिचय दिया है। किसी राजनीतिक निर्णय में हुई भूल को साहसी और महान राजनेता ही स्वीकार कर सकता है। जबकि नीतीश कुमार एवं शिवानन्द तिवारी अपनी गलतियों को स्वीकार करने में अपमान समझते हैं। उन्होंने कहा कि ‘भूरा बाल साफ करो’ के विरुद्ध वर्ष 1में तुरंत ही न्यायालय में मुकदमा दायर किया गया था जिसमें पूर्व मंत्री बसंत सिंह और निहोरा यादव ने गवाही भी दी थी। राजद नीतीश सरकार के तीन वर्षो की विफलताओं की फेहरिस्त छापने की तैयारी कर रहा है जिसे लेकर जदयू में घबराहट और परशानी है।ं

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