मीनू बने किसानों के आदर्श
पनपते हैं पौधे भी जब सूखे रगिस्तान में, बंजर में भी उपज सकता है सोना जो इरादे हों इंसान में..। इसे हकीकत में अंजाम दिया है हाारीबाग स्थित केरडारी लोचर गांव के किसान मीनू महतो ने। आज वह सूबे के...
पनपते हैं पौधे भी जब सूखे रगिस्तान में, बंजर में भी उपज सकता है सोना जो इरादे हों इंसान में..। इसे हकीकत में अंजाम दिया है हाारीबाग स्थित केरडारी लोचर गांव के किसान मीनू महतो ने। आज वह सूबे के किसानों के लिये आदर्श हैं तो यूं हीं नहीं!. सदियों से झारखंड के किसानों की नियति मानसून तय करता रहा। बामुश्किल एक फसल के लिये भी वह आकाश की ओर तकते थे। मीनू ने इस मिथक को तोड़ डाला। अमूमन जहां झाारखंडी किसान र्का में डूबे रहते हैं, मीनू के बच्चे इांीनियरिंग और मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैँ। मेहनत और थोड़ी सूझ-बूझ से जिंदगी ठाठ से गुजर रही है। मीनू का बचपन भी गोरबत में गुजरा। दो जून की रोटी मुश्किल थी। पढाई छोड़ना पड़ा। लेकिन आज यह बदलाव? इसका श्रेय वह देते हैं रडियो के खेतीबारी कार्यक्रम को। पहले अपने बंजर खेतों को सीढ़ीनुमा बनाया। फिर थोड़ी मगजमारी कर दो किलोमीटर तक सिंचाई के लिये बना डाला लिफ्ट एरिगेशन टावर सिस्टम। आज मीनू के खेत यूं लहलहाते हैं जसे उगलता सोना।इसके अलावा वह एक एकड़ जमीन में तरबूज, दलहन, तेलहन के साथ टमाटर, बैंगन, गोभी, नींबू आदि सब्जियां उपजाते हैं। केवल सब्जियों से सालाना ढ़ाई से तीन लाख की आमद है। किसान मीनू को राज्य सरकार ने सर्वश्रेष्ठ कृषक पुरस्कार से नवाजा है।मीनू कहते हैं कि रोटी की जुगाड़ में मुंबई जाकर जान गंवाने की क्या जरूरत है, हम अपने घर में खेती कर जीविकोपार्जन कर सकते हैं।