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वोट के अधिकार से वंचित क्यों?

राज ठाकरे का राज क्या? मुंबई तो न जाने कब से अपने लोगों के हाथों ही हिल रही थी, क्योंकि राज ठाकर जी अपने ही भारतीयों को वहां से निकालने में लगे हुए थे। पर अब तो आतंकवादियों के इस हमले से पूरी...

 वोट के अधिकार से वंचित क्यों?
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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राज ठाकरे का राज क्या? मुंबई तो न जाने कब से अपने लोगों के हाथों ही हिल रही थी, क्योंकि राज ठाकर जी अपने ही भारतीयों को वहां से निकालने में लगे हुए थे। पर अब तो आतंकवादियों के इस हमले से पूरी मुंबई दहल उठी। ऐसे समय में कहां हैं राज ठाकर क्यों नहीं वे अपने लोगों को साथ लेकर आए और उन आतंकवादियों का सामना किया। कहां छिप कर बैठ गए। हेम लता शर्मा, त्रिनगर, दिल्ली कहां गए गराने वाले शेर मुम्बई में आतंकी हमले के दौरान, बिहारियों पर गराने और बरसने वाले तमाम शेर अपनी मांद में ही दुबके रहे। उनकी सांसों की आहट भी नहीं सुनाई दी। बार-बार आतंकी हमला हमार कमजोर प्रशासन का सबूत है। जहां का प्रशासक वर्ग जेड प्लस सुरक्षा घेर में रहता हो, जाहिर है, वहां की जनता असुरक्षित होगी ही। वास्तव में आज हमें सरदार वल्लभ भाई पटेल जसे लौह पुरुष की आवश्यकता है। लेकिन केवल कुर्सी के लिए की जाने वाली राजनीति ऐसे पुरुष को बढ़ने और उभरने कहां देगी। फारूक साहिब. शांतिपुरी, मोतिहारी सामाजिक न्याय के मसीहा पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह पंचतत्व में विलीन हो गए। कोई और दिन होता तो इनका न रहना ही खबरिया चैनलों पर छाया रहता। लेकिन मुंबई में अब तक के सबसे बड़े आतंकवादी हमले के कारण वे छोटी सी खबर बन पाए। उनका जाना चौबीस घंटे दिखाई जाने वाली खबर बननी भी नहीं चाहिए। वे पंद्रह वर्ष से कैंसर एवं गुर्दे की बीमारी के बावजूद जी रहे थे। वे आज भले ही हमार बीच न हों लेकिन पिछड़ों के उत्थान के लिए मंडल आयोग की सिफारिशें लागू कर वे एक नया इतिहास रच गए। ओम प्रकाश सिंह, नेताजी नगर, नई दिल्ली आंगनबाड़ी में सूखी झाड़ी देश की 46 फीसदी आंगनबाड़ियों में जनसुविधाओं की सुविधा नहीं है। 27 फीसदी केन्द्रों में पीने का साफ पानी उपलबध नहीं है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की राज्यमंत्री श्रीमती रणुका चौधरी भी इन समस्याओं से अवगत हैं। यह सव्रे ‘नेशनल कौंसिल फॉर अप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च’ के द्वारा ‘रैपिड फैसिलिटी सव्रे ऑफ इंफ्रास्ट्रक्चर एट आंगनबाडी सेंटर्स’ द्वारा हुआ है। इसके अतिरिक्तीसदी केन्द्र आसमानी छत के नीचे काम कर रहे हैं। और 6 फीसदी अन्य दूसरी जगहों से समाज सेवा कर रहे हैं। ये समस्याएं तो सव्रे के माध्यम से खुलासा होती हैं, इसके साथ-साथ बसों की सुविधा, सुरक्षा, मासिक पगार व काम का अतिरिक्त दबाव भी अन्य समस्याओं की श्रेणी में आ जाता है। राजेन्द्र कुमार सिंह, रोहिणी, दिल्ली

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