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नौसेना के गले पड़े 23 समुद्री लुटेरे!

अदन की खाड़ी में गत शनिवार को गिरफ्तार किए गए समुद्री लुटेरों को लेकर नौसेना की स्थिति सांप-छछूंदर जसी हो गई है। चाह कर भी नौसेना का इनसे छुटकारा नहीं हो पा रहा। विदेश मंत्रालय संबद्ध देशों से संपर्क...

 नौसेना के गले पड़े 23 समुद्री लुटेरे!
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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अदन की खाड़ी में गत शनिवार को गिरफ्तार किए गए समुद्री लुटेरों को लेकर नौसेना की स्थिति सांप-छछूंदर जसी हो गई है। चाह कर भी नौसेना का इनसे छुटकारा नहीं हो पा रहा। विदेश मंत्रालय संबद्ध देशों से संपर्क कर इन लुटेरों को ग्रहण करने के लिए तैयार करने में लगा हुआ है। लेकिन तीन दिन बाद भी कोई सफलता नहीं मिली है। नौसेना के जंगी पोत आईएनएस मैसूर ने इथियोपिया के एक मालवाही पोत को समुद्री लुटेरों से बचाने की कार्रवाई करते हुए यमन और सोमालिया के 23 लुटेरों (12 सोमाली व 11 यमनी) को अदन की खाड़ी में पकड़ लिया था। नौसेना के सामने अब समस्या यह है कि वह अदन की खाड़ी में पकड़े गए इन लुटेरों को किसके सुपुर्द कर। न तो फ्रांस की कालोनी जिबूती इन्हें लेने के लिए तैयार है और न ही यमन और सोमालिया तैयार हुए हैं। समुद्री लुटेरों के खिलाफ कार्रवाई करते समय नौसेना ने सोचा ही नहीं था कि उसे एसी किसी समस्या का सामना करना पड़ सकता है। विश्वस्त सूत्रोँ के मुताबिक भारत ने यमन की सरकार से अनुरोध किया है कि वह इन सभी लुटेरों को संभाले और कानूनी कार्रवाई कर क्योंकि इनमें कई लुटेर यमन के हैं। यमन के जवाब का इंतजार किया जा रहा है। आईएनएस मैसूर चाह कर भी इन्हें फिर समुद्र में नहीं छोड़ा जा सकता। इससे नौसेना और भारत की भारी बदनामी होगी। नौसेना की परशानी का कारण यह भी है कि एक तो उसके जंगी पोत के नाविकों को इन 23 लुटेरों को खिलाना-पिलाना पड़ रहा है और ऊपर से उनकी सुरक्षा के लिए नाविकों के एक दल को तैनात करना पड़ रहा है। नौसेना पोत के कैप्टन सुधीर पिल्ले की चिंता इस बात को लेकर भी है कि कहीं ये अपराधी नौसेना को बदनाम करने के लिए अपने ही किसी साथी की हत्या न कर दें। सूत्रों के मुताबिक इन लुटेरों के इस गिरोह में कुछ घुटे हुए अपराधी एसे भी हो सकते हैं जो भारतीय नौसेना को बदनाम करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। पिछले महीने ही नौसेना के एक फ्रिगेट द्वारा लुटेरों की मदरशिप डुबोने के बाद विवाद पैदा हो गया था। जिस नाव को नौसेना ने डुबोया था उसके बार में थाइलैंड का कहना है कि वह उसकी नाव थी। एसे मामलों में संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव 105 में यह भी कहा गया है कि लुटेरों के खिलाफ कार्रवाई करने वाले देश के कानून के तहत अपराधियों पर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है इन 23 लुटेरों के खिलाफ कार्रवाई का श्रेय बांटने के लिए अब जर्मन नौसेना ने भी दावा किया है।

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