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क्यों बनाते हो रेत के महल?

वोट जरूर, मगर संभल के आज जबकि महंगाई, बेरोगारी, भुखमरी, आतंकवाद, बलात्कार, किसानों द्वारा आत्महत्या, बाल मजदूरी, स्वास्थ्य, शिक्षा, पानी, बिजली आदि सबसे गंभीर समस्याएं सामने खड़ी हैं। इस समय...

 क्यों बनाते हो रेत के महल?
लाइव हिन्दुस्तान टीमSun, 15 Mar 2009 01:00 PM
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वोट जरूर, मगर संभल के आज जबकि महंगाई, बेरोगारी, भुखमरी, आतंकवाद, बलात्कार, किसानों द्वारा आत्महत्या, बाल मजदूरी, स्वास्थ्य, शिक्षा, पानी, बिजली आदि सबसे गंभीर समस्याएं सामने खड़ी हैं। इस समय चुनावी मौसम में हमार दिग्गज नेताओं को जनता की ये समस्याएं क्यों नहीं दिखाई दे रही हैं? नेतागणों को आपस में व्यक्ितगत आरोप-प्रत्यारोप करने के अलावा राम मंदिर, बाबरी मसिद, कंधार क्यों याद आते हैं? मैं मतदाताओं से और नागरिकों से अपील करता हूं कि नेताओं की बातों पर न जाकर उनके किए काम और कारनामें देखकर ही अपना बहुमूल्य वोट दें। कौशल किशोर दुबे, साहिबाबाद प्रत्याशी संपत्ति घोषणा ब्यौरा प्रत्याशी सम्पत्ति घोषणा पत्र में चल-मुद्रा-रोकड़ा की घोषणा तो ठीक है जितनी राशि होगी, दर्शायी जाए, पर अचल सम्पत्ति में घोषणा का आधार खरीद मूल्य ही होना चाहिए, क्योंकि बाजार मूल्य बदलाव भरा होता है, विवादित भी होता है और किसी भी बदलाव का कारण संपत्ति शामिल हो ही नहीं सकता। वह तो बेचने पर ही लाभान्वित होता है। आयकर- ‘लम्बी अवधि सम्पत्ति कर’ भी संपत्ति बेचने के बाद ही लगता है। उसे रखने पर न लाभ न कर लगता है। वह वार्षिक रिटर्न में भी खरीद मूल्य ही दर्शाता है तो फिर चुनाव संपत्ति घोषणा में इस बदलाव का क्या औचित्य है? हरिओम मित्तल, गुड़गांव सिर्फ हम नहीं, वो भी पप्पू हैं वोट हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है फिर हम अपने अधिकार की अवहेलना क्यों करते हैं। सरकार करोड़ों रुपए खर्च करती है कि लोकतंत्र राज बने। 100में भी 50 लोग ही वोट देते हैं। क्या हम पांच साल में एक दिन में एक घंटा देश के लिए नहीं दे सकते, इसमें दोष सिर्फ व्यक्ित नहीं चुनाव अधिकारी का भी है चुनाव अधिकारी वोटर कार्ड बनाने में ही इतना समय एवं गलत बनाते हैं कभी वोटर लिस्ट में नाम नहीं तो कभी नाम पता गलत कभी आई कार्ड नहीं बनाते। देव भारती, गणेशनगर, दिल्ली फटे पुराने चीथड़े-पौथड़े जिस तरह हमार पहनने वाले कपड़े धीर-धीर फटने लगते हैं और चीथड़े पौथड़े दिखने लगते हैं तो हम उन्हें बदल देते हैं, ठीक उसी आधार पर युवा वोटरों को चाहिए कि हमार राजनेता जो कि बहुत पुराने हो चुके हैं उन्हें अपना वोट देने के बजाए युवा शक्ित को अपना कीमती वोट देकर राजनीति को चुस्त दुरुस्त बनाएं। रोशन लाल बाली, महरौली, नई दिल्ली

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