16 वर्षो से फरार अभियुक्त सरकार में हैं मंत्री :
पटना (हि.ब्यू.)। विधानसभा में विपक्ष के नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी व विधानपरिषद में विपक्ष के नेता प्रो. गुलाम गौस ने सहकारिता मंत्री रामाधार सिंह पर फरार होने का आरोप लगाया है। विधानसभा स्थित अपने...
पटना (हि.ब्यू.)। विधानसभा में विपक्ष के नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी व विधानपरिषद में विपक्ष के नेता प्रो. गुलाम गौस ने सहकारिता मंत्री रामाधार सिंह पर फरार होने का आरोप लगाया है। विधानसभा स्थित अपने कक्ष में संवाददाताओं से बात करते हुए सिद्दीकी ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि औरंगाबाद न्यायालय द्वारा 16 वर्षो से फरार घोषित व्यक्ति को नीतीश कुमार ने अपने कैबिनेट में मंत्री बनाया। आखिर ऐसा व्यक्ति मंत्री कैसे बन गया?
सिद्दिकी ने बताया कि 17 दिसंबर 1992 को औरंगाबाद जिला प्रशासन ने बाबरी मस्जिद व अन्य मस्जिदों को लेकर भड़काऊ भाषण देने के कारण एफआईआर दर्ज किया। इसमें वे गिरफ्तार हुए और जेल गए। बाद में जमानत पर छूटने के बाद वे कोर्ट में हाजिर नहीं हुए। बार-बार सम्मन भेजे जाने के बाद भी उन्होंने कोर्ट के निर्देशों की अवमानना की। लिहाजा उन्हें 1994 में फरार घोषित कर दिया गया।
सिद्दीकी ने कहा कि मंत्री ने कोर्ट द्वारा फरार घोषित करने की बात अपने शपथ पत्र में छुपाई है। यह बताता है कि मंत्री ने संवैधानिक व्यवस्था की धज्जियां उड़ाई है। उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से यह जानना चाहा कि एक ओर तो वे नरेन्द्र मोदी से दूरी दिखाते हैं और दूसरी ओर दंगा-फसाद में संलिप्त लोगों को अपनी सरकार में मंत्री भी बनाते हैं।
यह दोहरा चरित्र क्यों? उन्होंने तत्काल रामाधार सिंह को गिरफ्तार कर जेल भेजने और कैबिनेट से बर्खास्त करने की मांग की।
गलतबयानी कर रहे हैं सिद्दिकी : रामाधार
पटना (हि.ब्यू.)। सहकारिता मंत्री रामाधार सिंह ने आरोप लगाया है कि विपक्ष के नेता साक्ष्यों को गलत ढंग से पेश कर रहे हैं। चुनाव लडऩे के पूर्व उन्होंने सभी 11 मामलों की जानकारी अपने शपथपत्र में दी है। सिद्दिकी उसे पेश करने की बजाए नामांकन दस्तावेज दिखा रहे हैं।
तमाम मामले आंदोलन से जुड़े हैं जिनमें से अधिसंख्य राजद शासनकाल में ही दर्ज किए गए हैं। शपथ पत्र में हर कांड की जानकारी है। मामले को बेवजह साम्प्रदायिक रंग देने की भी कोशिश की जा रही है। बिजली संकट के लिए आंदोलन में उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया है और इसे भी साम्प्रदायिक रंग दिया गया है।
अलबत्ता औरंगाबाद कोर्ट द्वारा फरार घोषित करने की जानकारी उन्हें नहीं थी। मामला अधिवक्ता देख रहे थे। उन्हें महसूस हो रहा है कि उन्होंने इसकी सूचना नहीं दी। ऐसे में वे सबसे पहले जमानत लेंगे। मंत्री ने स्पष्ट कहा कि वे मुख्यमंत्री के निर्देश पर चलने वाले सिपाही हैं। भ्रष्टाचारियों के खिलाफ लड़ेंगे और सहकारिता से भ्रष्टाचार खत्म कर देंगे। अगर भ्रष्टाचारियों में ताकत होगी तो वे उन्हें हटा देंगे।