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फिर धुन से नहीं लगेगा कान को घुन!

आईपॉड या मोबाइल पर गाने सुनना युवाओं का टशन है। वे हर वक्त कान में हेडफोन या इयरफोन लगाए दिखते हैं। मां-बाप से लेकर टीचर या सहयोगियों तक की डांट खाते हैं कि सुनाई देना बंद हो जाएगा, रेडियोएक्टिव...

फिर धुन से नहीं लगेगा कान को घुन!
लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 17 May 2011 10:31 PM
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आईपॉड या मोबाइल पर गाने सुनना युवाओं का टशन है। वे हर वक्त कान में हेडफोन या इयरफोन लगाए दिखते हैं। मां-बाप से लेकर टीचर या सहयोगियों तक की डांट खाते हैं कि सुनाई देना बंद हो जाएगा, रेडियोएक्टिव तरंगें दिमाग को नुकसान पहुंचाती हैं वगैरह-वगैरह। तो क्या वाकई इयरफोन या हेडफोन पर संगीत सुनना इतना खतरनाक है? एक्सपर्ट मानते हैं कि अगर कुछ सावधानियां बरती जाएं और खास बातों का खयाल रखें तो इयरफोन या हेडफोन पर काफी देर तक गाने सुनने से भी कान या दिमाग को नुकसान से बचाया जा सकता है। इन सावधानियों की बाबत अरशाना अजमत की रिपोर्ट।

आप जी भर कर इयरफोन या हेडफोन पर गाने सुनिए। बस समय की सीमा 8 घण्टे से कम होनी चाहिए। प्राइम क्लीनिक, सेंटर फॉर हियरिंग, स्पीच एण्ड बैलेंस के हियरिंग एक्सपर्ट डॉक्टर क्षितिज मलिक बताते हैं कि इयरफोन या हेडफोन कानों को तब नुकसान पहुंचाते हैं, जब इन्हें लगातार आठ घण्टे से ज्यादा इस्तेमाल किया जाए। ये आम युवाओं के लिए इतने घातक नहीं हैं। ये कॉल सेंटर एक्जीक्यूटिव्स, डीजे या आरजे के कानों के लिए ज्यादा नुकसानदेह हैं।

60/60 का फॉर्मूला अपनाएं
एनएचसी हियरिंग केयर, इंडिया के ऑडियोलॉजी मैनेजर शीजा गोविंदन से इस फॉमरूले को समझते हैं। उनकी राय में साठ मिनट तक साठ प्रतिशत वॉल्यूम पर संगीत सुनें, फिर साठ मिनट का ब्रेक लें। इस तरह से कानों और दिमाग दोनों को आराम मिलता है। कान में दर्द या दिमागी थकान जैसी शिकायतें नहीं होतीं।

इयर बड के इस्तेमाल से बचें
एक्सपर्ट मानते हैं कि इयर बड कानों को इयरफोन से ज्यादा नुकसान पहुंचाती है। कारण यह कि इयर बड सामान्य वॉल्यूम को आठ गुना बढ़ा कर हमारे कानों तक पहुंचाती है, जिससे कानों को नुकसान होने की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है, इसलिए बिना इयर बड वाले इयरफोन या हेडफोन का इस्तेमाल करें। इसी तरह से ऐसे इयरफोन का चयन न करें, जो कानों की गहराई तक जाता हो। इससे भी कान को नुकसान हो सकता है।

वॉल्यूम पर हो पूरा कंट्रोल
वॉल्यूम पर आपका पूरा नियंत्रण होना चाहिए। वॉल्यूम की बाबत कुछ खास सावधानियों की दरकार होती है, वरना आपके कानों को नुकसान हो सकता है। मसलन मैक्स हेल्थ केयर के ईएनटी सजर्न डॉक्टर सोमेश्वर सिंह बताते हैं कि एक ही वॉल्यूम लेवल पर संगीत सुनें। उसकी फ्रीक्वेंसी बार-बार बढ़ाने की आदत से परहेज करें। अमूमन लोग मीडियम लेवल पर गाने सुनते हैं, लेकिन जैसे ही भीड़-भाड़ वाले इलाके में जाते हैं, वॉल्यूम बढ़ा देते हैं। ऐसा न करें। ऐसी स्थिति में थोड़ी देर संगीत न सुनें। डॉक्टर सोमेश्वर यह भी बताते हैं कि एक ही कान में इयरफोन लगा कर संगीत न सुनें। दोनों कानों का इस्तेमाल करें। शीजा गोविंदन की मानें तो युवा अक्सर आईपॉड या एमपी-3 फुल वॉल्यूम पर बजाते हैं। उन्हें समझना चाहिए कि कार की स्पीड चाहे जितनी हो, मगर कार हमेशा देश के कानून और अपनी सुरक्षा के लिहाज से चलाई जाती है। इसी तरह से संगीत भी उसी वॉल्यूम पर सुनना चाहिए, जिस पर आराम से सुना जा सके, न कि उस वॉल्यूम लेवल पर, जिसकी सुविधा आईपॉड या एमपी 3 में मिली है।

ऐसा हो तो डॉक्टर से मिलें
अगर कानों में घण्टी बजने की शिकायत हो, बार-बार सांय-सांय की आवाज सुनाई दे, दूसरों की आवाज साफ न सुनाई दे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। कई बार युवा अचानक से फुल वॉल्यूम पर संगीत सुनते हैं, जिससे ऐसा होता है।

मनोवैज्ञानिक की सलाह
15 से 30 मिनट इयरफोन, इसके बाद हैंड्सफ्री!
मनोवैज्ञानिक पल्लवी भटनागर बताती हैं कि किसी भी तरह की रेडियोएक्टिव तरंगें हमारे दिमाग और शरीर दोनों को नुकसान पहुंचाती हैं, मगर तब, जब लगातार ऊंचे सुर में इयरफोन से संगीत सुना जाए। जबकि अगर 15 से 30 मिनट तक एक कमरे में शांति से बैठ कर यही काम करें तो संगीत हमें रिलैक्स करता है। गाना सुनते समय चुप न रहें, बल्कि खुद भी गुनगुनाएं इससे ये आपके लिए एक्सप्रेशन थेरेपी का काम करेगा। अगर आप हैंड्सफ्री पर संगीत सुनते समय खुद भी गाते और नाचते हैं तो आपके अंदर से डिप्रेशन खत्म होता है और उम्मीद जागती है। यानी ये सेहत के लिए मुफीद है।

मेडिकल एक्सपर्ट कहते हैं एक ही वॉल्यूम पर दोनों कानों में इयरफोन लगाएं
मैक्स हेल्थ केयर के ईएनटी सजर्न डॉक्टर सोमेश्वर सिंह बताते हैं कि अमूमन लोग एक कान में इयर फोन लगा कर एक कान फ्री रखते हैं। इससे ज्यादा नुकसान होता है। अगर आप दोनों कानों में इयरफोन लगाते हैं तो नुकसान कम होता है। यह गलती कॉल सेंटर के लोग खूब करते हैं। उन्हें इससे बचना चाहिए। वॉल्यूम को एक ही टय़ून पर एडजस्ट रखना चाहिए, न कि बार-बार घटाना या बढ़ाना चाहिए। अमूमन कान से संबंधी कोई भी शिकायत तभी होती है, जब आठ घण्टे से ज्यादा संगीत इयरफोन पर सुना जाए। तब अक्सर कान में सांए-सांए की आवाज या फोन की घण्टी बजने की आवाज सुनने की शिकायत हो जाती है।

अच्छे इयरफोन इस्तेमाल करें
संगीत के दीवानों के लिए एक डीजे की सलाह
दीप्ति एक डीजे हैं। अमूमन उनके कान से इयरफोन लगा रहता है। इसके बावजूद अपने कई साल के करियर में उन्हें कोई शिकायत नहीं हुई। वजह बस इतनी कि उन्होंने कुछ बातों का खास खयाल रखा। यह खास बातें युवाओं के लिए सलाह का काम कर सकती हैं। दीप्ति बताती हैं कि अच्छी क्वालिटी का इयरफोन इस्तेमाल करें। आपके कानों में जाने वाली आवाज की क्वालिटी जितनी अच्छी होगी, आपकी सेहत को उतना कम नुकसान होगा। लगातार एक या डेढ़ घण्टे से ज्यादा संगीत न सुनें। वॉल्यूम कम रखें। कई युवा अक्सर रात को इयर फोन लगाकर सो जाते हैं, इससे बचें।

इयर फ्रेंडली हेड फोन चुनें!
ब्राण्डेड इयर फोन ही इस्तेमाल करें। इयर बड वाले इयरफोन से परहेज करें। खास तौर से कान की गहराई तक जाने वाली इयरबड कतई इस्तेमाल न करें। जिन लोगों के सिर बड़े हैं, उन्हें फुल साइज हेडफोन से परहेज करना चाहिए। ये हेडफोन कानों को गर्म करते हैं, जो नुकसानदेह है। इयरफोन खरीदने से पहले कम से कम 15 मिनट तक इस्तेमाल करें। अगर कानों को सही लग रहा है तो ही खरीदें। लंबे समय तक संगीत सुनना है तो एयर ड्राइव इयर फोन का इस्तेमाल करें।

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