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भारतीय बॉक्सिंग का गोल्डन पंच

अच्छे-अच्छों को नॉक आउट कर देते हैं विजेंदर सिंह। उनके ‘हुक’ और ‘अपरकट’ का प्रतिद्वंद्वी के पास कोई जवाब नहीं होता। विजेंदर सिंह बेनीवाल यानी विजेंदर न केवल भारत के, बल्कि...

भारतीय बॉक्सिंग का गोल्डन पंच
लाइव हिन्दुस्तान टीमMon, 16 May 2011 12:10 PM
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अच्छे-अच्छों को नॉक आउट कर देते हैं विजेंदर सिंह। उनके ‘हुक’ और ‘अपरकट’ का प्रतिद्वंद्वी के पास कोई जवाब नहीं होता।

विजेंदर सिंह बेनीवाल यानी विजेंदर न केवल भारत के, बल्कि विश्व मुक्केबाजी के चमकते हुए सितारे हैं। उनका पावरफुल पंच जब किसी के चेहरे पर पड़ता है, तो वह रिंग में ठहरता नहीं, नॉक आउट हो जाता है। उनके ‘हुक’ और ‘अपरकट’ का प्रतिद्वंद्वी के पास कोई जवाब नहीं होता।

विजेंदर सिंह ओलंपिक में बॉक्सिंग स्पर्धा में कोई पदक जीतने वाले भारत के पहले मुक्केबाज हैं। उनका जन्म हरियाणा के भिवानी जिले के कलवास गांव में 29 अक्तूबर 1985 को हुआ था। उनकी प्राइमरी एजुकेशन गांव में हुई और उन्होंने भिवानी के एक कॉलेज से ग्रेजुएशन किया। उनके पिताजी महिपाल सिंह बेनीवाल हरियाणा रोडवेज में ड्राइवर हैं और उन्होंने अपने दोनों बेटों मनोज और विजेंदर की पढ़ाई का खर्चा जुटाने के लिए ओवरटाइम तक किया। विजेंदर के बड़े भाई मनोज भी बॉक्सर थे और बॉक्सिंग की बदौलत ही उन्हें 1998 में सेना में नौकरी मिली। बॉक्सिंग में विजेंदर की रुचि अपने बड़े भाई को देख कर ही जगी। उन्होंने भिवानी बॉक्सिंग क्लब में बॉक्सिंग की प्रैक्टिस करनी शुरू की, जहां राष्ट्रीय स्तर के पूर्व मुक्केबाज और कोच जगदीश सिंह ने उनकी प्रतिभा को पहचाना। विजेंदर के करियर का टर्निग प्वाइंट था 2003 का अफ्रो-एशियन गेम।

जूनियर बॉक्सर होने के बावजूद उन्होंने इसमें सिल्वर मेडल जीता। इसके बाद तो वे आगे बढ़ते ही चले गए। 2006 के दोहा एशियाड में उन्होंने मिडलवेट कैटेगरी में ब्रॉन्ज मेडल, इसी साल मेलबर्न में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में मिडलवेट कैटेगरी में सिल्वर मेडल, 2008 के बीजिंग ओलंपिक में मिडलवेट कैटेगरी में ब्रॉन्ज मेडल जीता। 2009 में मिलान में हुए विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में मिडलवेट कैटेगरी में ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया। उनके बेहतरीन प्रदर्शन को देखते हुए इंटरनेशनल बॉक्सिंग एसोसिएशन ने इस साल उन्हें दुनिया का नंबर एक मुक्केबाज घोषित किया। 2010 में नई दिल्ली में हुए कॉमनवेल्थ बॉक्सिंग चैंपियनशिप में उन्होंने गोल्ड मेडल जीता। इसी साल अक्तूबर में नई दिल्ली में ही हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में विजेंदर अपनी तकनीकी गलती और रैफरी की ज्यादती की वजह से सेमीफाइनल में हार गए और उन्हें ब्रॉन्ज मेडल से ही संतोष करना पड़ा। वे बाउट के आखिरी राउंड तक अपने प्रतिद्वंद्वी से 3-0 से आगे थे, लेकिन ‘फाउल’ की वजह से 3-4 से हार गए। लेकिन, इस हार का बदला उन्होंने इसी साल चीन के ग्वांगझू में हुए एशियाड में गोल्ड मेडल जीत कर चुका लिया।

खेलों के अलावा ग्लैमर वर्ल्ड में भी विजेंदर की काफी चर्चा है। वे सलमान के शो ‘दस का दम’ में मल्लिका सहरावत के साथ हिस्सा ले चुके हैं। डांस रियलिटी शो ‘नच बलिए’ के चौथे सीजन में बॉलीवुड ब्यूटी बिपाशा बसु के साथ शिरकत कर चुके हैं। वे चॉकलेट के एक विज्ञापन सहित कुछ विज्ञापन फिल्मों में भी काम कर चुके हैं। मुक्केबाजी में शानदार योगदान के लिए उन्हें 2009 में भारत का सर्वोच्च खेल सम्मान ‘राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड’ दिया गया। 2010 में उन्हें भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘पद्मश्री’ से नवाजा गया। विजेंदर की स्वर्णिम सफलता की ही देन है कि क्रिकेट के दीवाने भारत में आज बॉक्सिंग भी काफी लोकप्रिय हो रही है।

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