फोटो गैलरी

Hindi Newsखेलेगी, तो खिलेगी

खेलेगी, तो खिलेगी

खेल के मैदान पर अब सिर्फ लड़के ही नहीं, लड़कियां भी कमाल दिखा रही हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वे अपनी पहचान बना रही हैं। तो फिर आप अपनी बिटिया को खेलने के लिए प्रोत्साहित क्यों नहीं करतीं? यदि वो किसी...

खेलेगी, तो खिलेगी
लाइव हिन्दुस्तान टीमFri, 13 May 2011 03:21 PM
ऐप पर पढ़ें

खेल के मैदान पर अब सिर्फ लड़के ही नहीं, लड़कियां भी कमाल दिखा रही हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वे अपनी पहचान बना रही हैं। तो फिर आप अपनी बिटिया को खेलने के लिए प्रोत्साहित क्यों नहीं करतीं? यदि वो किसी खेल को प्रोफेशन के रूप में अपनाती है, तो उसके कॅरियर को लेकर आपकी चिंता खत्म होगी और अगर वो ऐसा न भी करती है तो भी वो स्वस्थ, फिट और जिंदगी में अनुशासित हो ही जाएगी।

बेटे को क्रिकेट कोचिंग क्लास में दाखिला दिलवा दिया और बिटिया को डांस क्लास में। पर, अगर आपकी बेटी साल्सा डांस के मूव्स में एक्सपर्ट बनने की जगह टेनिस के शॉट्स अच्छे तरीके से लगाने लगे तो? अपने बच्चे को किसी भी तरह की एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटी में शामिल करना अच्छी बात है, पर यह जरूरी नहीं कि बेटी को डांस या म्यूजिक ही सिखाया जाए। वो स्पोर्ट्स चैंपियन भी बन सकती है। सायना नेहवाल, पालोमी घटक, सीमा तोमर, दीपिका कुमारी जैसी खिलाड़ियों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी सफलता से हाल के दिनों में यह सिद्ध भी किया है कि खेलना-कूदना लड़कियों के लिए भी हर लिहाज से फायदेमंद है। पूरी दुनिया में महिला खिलाड़ी अपने खेल के बल पर अपनी पहचान बना रही हैं और ढेर सारे पैसे भी कमा रही हैं। पहलवानी के कोच सतपाल पहलवान कहते हैं, ‘लड़कियां किसी भी क्षेत्र में लड़कों से कम नहीं हैं। ये बात उन्होंने कॉमनवेल्थ और एशियाड खेलों में साबित कर दी है। इन खेलों में महिला खिलाड़ियों के प्रदर्शन के बाद लड़कियों और उनके अभिभावकों में खेलों को लेकर एक नया जोश आ गया है। अक्सर माता-पिता लड़कियों का अपनी रूढ़िवादी मानसिकता के चलते खिलाड़ी बनने नहीं देते। स्थिति बदल रही है, लेकिन अभी बहुत गुंजाइश बाकी है।’

पर, ध्यान रहे कि आप अपनी महत्वाकांक्षाओं को अपनी बेटी पर थोप न दें। उसे उड़ने के लिए खुला आसमान दें और चुनने के लिए असीमित विकल्प। अगर आपकी बिटिया किसी स्पोर्ट्स को प्रोफेशन के रूप में नहीं भी अपनाती है, तो उससे कुछ नुकसान नहीं होने वाला। वो न सिर्फ स्वस्थ और फिट होगी बल्कि किसी भी काम पर अपना ध्यान भी बेहतर तरीके से केंद्रित कर पाएगी। उसमें आत्मविश्वास बढ़ेगा और दुनिया की चुनौतियों का वह बेहतर तरीके से सामना कर पाएगी। इतना ही नहीं, खेल के मैदान में सक्रिय रहने का उसे एक और फायदा होगा। आमतौर पर लड़कियों को स्वास्थ्य संबंधी जो भी समस्याएं होती है, आपकी लाडली उन समस्याओं से बची रहेगी।

उसे दिखाएं रास्ता

अगर आपके पास किसी स्पोर्ट्स क्लब की मेंबरशिप नहीं है, तो उसके लिए आवेदन करें ताकि आपकी बेटी के पास अपनी पसंद का खेल चुनने का विकल्प हो। जरूरी नहीं है कि वो स्पोर्टिग क्लब सभी सुविधाओं से युक्त हो। बच्ची में खेल के लिए रुझान पैदा करने के लिए टेनिस और बैडमिंटन कोर्ट और स्वीमिंग पुल होना पर्याप्त है।

शूटर अनुजा जंग के मुताबिक, ‘परिवार के साथ के बिना कुछ भी करना संभव नहीं है। अपनी बेटियों पर विश्वास रखें। उन्हें खेलने और आगे बढ़ने की आजादी दें। आज मैं जिस मुकाम पर हूं, इसके लिए मैं अपने माता-पिता और अपने पति की शुक्रगुजार हूं। मेरे परिवार के लगभग सभी सदस्य खिलाड़ी हैं और उन्होंने कभी बहू-बेटे में फर्क नहीं किया। मैं सभी पेरेंट्स को कहना चाहूंगी कि अपनी बेटी की खुशियों का ख्याल रखें और उनके सपनों को पूरा करने में मदद करें।’

जिस खेल में आपकी बेटी की रुचि है, उस खेल से संबंधित उसे प्रोफेशनल ट्रेनिंग दिलवाएं। इससे वो एक रुटीन विकसित कर पाएगी और खेल के गुर भी तेजी से सीख सकेगी। उसमें प्रतियोगी भावना का विकास होगा, जो खेल के मैदान के बाहर भी मददगार साबित होगा।

कबड्डी की राष्ट्रीय खिलाड़ी पूजा शर्मा कहती हैं, ‘आमतौर पर लड़कियों को परिवार और समाज का उतना सपोर्ट नहीं मिल पाता, जिसकी वे हकदार हैं। शुरू में मुझे परिवार का साथ नहीं मिल रहा था, पर मेरे कोच ने मेरा पूरा साथ दिया। उन्होंने न सिर्फ मेरे परिवार को समझाया बल्कि मेरा हर कदम पर साथ भी दिया। हमने जब एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीता तो न केवल हमारे परिवारों ने बल्कि पूरे देश ने हमें सराहा। मैं पेरेंट्स से यही कहना चाहूंगी कि अपनी बेटी का पूरा खयाल रखें, पर उन्हें अपने सपने भी पूरे करने दें।’

छुट्टी के दिन घर में भी बैडमिंटन या बास्केटबॉल जैसे खेले खेलें। इसे अपने रुटीन का हिस्सा बनाएं। धीरे-धीरे बिटिया भी उसी खेल में रमने लगेगी। इससे और कोई फायदा न भी हो, तो वीकेंड बिताने का एक आकर्षक तरीका ढूंढ़ने में तो आपका परिवार सफल ही रहेगा।

बेटी के बर्थडे पर उसकी फेवरेट ड्रेस या बार्बी देने की जगह उसे स्केट्स या खेल से संबंधित कोई चीज उपहार में दें। भारत में स्केटिंग के लिए अच्छे ट्रैक्स की कमी है, पर थोड़ी-बहुत स्केटिंग तो वह घर के आसपास भी सीख सकती है। स्केटिंग एक ऐसा खेल है जिसे एक बार सीखने के बाद आप कभी भूल नहीं सकते। उसे साइकलिंग या इस तरह का कोई और खेल खेलने के लिए भी आप प्रोत्साहित कर सकती हैं। साइकलिंग एक खेल के रूप में विकसित हो चुका है और फिट रहने का इससे अच्छा तरीका कोई और नहीं है।

उसे हर तरह से प्रोत्साहित करने की कोशिश करें। अगर शहर में किसी स्पोर्टिग एक्टिविटी का आयोजन हो रहा है, तो उसे वह दिखाने के लिए ले जाएं।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें